भगवान कार्तिकेय को समर्पित है यह दिन
Subrahmanya Sashti, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म शास्त्रों में सुब्रह्मण्य षष्ठी के पर्व का वर्णन मिलता है। सुब्रह्मण्य षष्ठी को स्कंद षष्ठी या मुरुगन षष्ठी के नाम से भी लोग जानते हैं। ये पर्व भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है, जिन्हें मुरुगन और सुब्रहमन्य आदि के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है। दक्षिण भारत में लोग इस पर्व को विशेष रूप से मनाते हैं।
सुब्रह्मण्य षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। साथ ही व्रत भी किया जाता है। इस दिन पूजन और व्रत करने से जीवन में खुशहाली आती है। सुख, समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस माह में सुब्रह्मण्य षष्ठी कब मनाई जाएगी? साथ ही जानते हैं सुब्रह्मण्य षष्ठी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 25 नवंबर को रात 10 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो जाएगी। वहीं इस तिथि का समापन 27 नवंबर देर रात 12 बजकर 1 मिनट पर होगा। ऐसे में मार्गशीर्ष माह में सुब्रह्मण्य षष्ठी का पर्व बुधवार, 26 नवंबर को मनाया जाने वाला है।
सुब्रह्मण्य षष्ठी पूजा विधि
- सुब्रह्मण्य षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए।
- इसके बाद स्कंद भगवान का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- फिर पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए।
- इसके बाद एक चौकी पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या फिर तस्वीर रखनी चाहिए।
- भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ समस्त शिव परिवार की भी पूजा करनी चाहिए।
- पूजा में कार्तिकेय जी को फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य आदि चढ़ाना चाहिए।
- कार्तिकेय जी को फल, मिठाई आदि का भोग लगाना चाहिए।
- कार्तिकेय जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- अंत में भगवान की आरती करके सभी को प्रसाद देकर पूजा का समापन करना चाहिए।


