उद्योग मंत्री ने टैरिफ को लेकर पश्चिमी देशों को दिया करारा जवाब, कहा, भारत के लिए उसके राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर से स्पष्ट किया है कि भारत के लिए उसकी अपनी आर्थिक नीतियों में स्वतंत्र और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखता है और किसी बाहरी दबाव में समझौता नहीं करेगा। दरअसल गोयल ने यह बात बर्लिन ग्लोबल डायलॉग सम्मेलन में उस समय कही जब मौजूदा समय में विश्व के कई देशों पर अमेरिकी टैरिफ पर चर्चा हो रही थी।
गोयल की यह टिप्पणी ऐसे समय आई जब अमेरिका और उसके सहयोगी भारत पर रूस से सस्ता तेल खरीदने को लेकर दबाव बढ़ा रहे हैं। पिछले महीने ट्रंप प्रशासन ने भारत के कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल टैरिफ लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंचा दिया था। भारत ने इसे अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया है।
गोयल ने इस तरह से पश्चिमी देशों को कटघरे में खड़ा किया
इस वार्ता के दौरान भारतीय उद्योग मंत्री ने सवाल उठाया कि जब जर्मनी खुद ही अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मांग रहा है और ब्रिटेन को पहले ही मिल चुका है, तो भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। गोयल की ये बात सुनकर वहां मौजूद यूके की ट्रेड मंत्री क्रिस ब्रायंट ने कहा कि उनकी छूट केवल रॉसनेफ्ट की एक सहायक कंपनी के लिए है। ऐसे में गोयल ने पलटवार करते हुए कहा कि भारत के पास भी तो रॉसनेफ्ट की एक सहायक कंपनी है, फिर हमें क्यों? उनकी बात सुनकर बैठक में नेता कुछ देर के लिए चुप रह गए।
रूस से तेल खरीद बंद करने का दबाव बना रहा अमेरिका
बता दें कि रूस तेल से खरीद को लेकर अमेरिका लगातार प्रतिबंधों की धमकी दे रहा है। कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड का मानना है कि भारत जैसे देशों पर दबाव डालने से रूस कमजोर होगा और यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर मजबूर होगा, जबकि हाल ही में यूरोपीय संघ ने तीन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए और अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए।
इस दौरान पीयूष गोयल ने इस बात भी जोर दिया कि भारत हमेशा से ही अपनी स्वतंत्र व्यापार नीति पर चलता है और हमारे लिए हमारा राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। उन्होंने कहा कि हम कभी किसी ह्यडेडलाइनह्ण या सिर पर तनी बंदूक के दबाव में समझौता नहीं करेंगे। गोयल ने दो टूक अंदाज में कहा कि अगर कोई टैरिफ लगाए, तो लगाए। हम नए बाजार खोज रहे हैं, घरेलू मांग मजबूत कर रहे हैं और दीर्घकालिक लचीलापन विकसित कर रहे हैं।
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