बुरी आदतों से बिगड़ जाते हैं काम, जानें उपाय
Shukra Upaay, (आज समाज), नई दिल्ली: जन्म कुंडली में हर ग्रह की अपनी जगह और प्रभाव होता है, और उसी से तय होती है इंसान की किस्मत। इन ग्रहों में शुक्र यानी वीनस को सबसे ज्यादा शुभ और आकर्षक ग्रह माना गया है। शुक्र जहां बैठता है, वहां सौंदर्य, प्रेम, कला, भौतिक सुख और रिश्तों की मिठास लेकर आता है, लेकिन जब यही शुक्र छठे भाव में बैठता है तो इसके फल कुछ अलग तरह के होते हैं। छठा भाव वैसे तो शत्रु, रोग, कर्ज और संघर्ष से जुड़ा होता है, यानी ये भाव इंसान के जीवन में चुनौतियों की पहचान करवाता है। ऐसे में जब शुक्र जैसा सुखदायक ग्रह इस भाव में आता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में एक मिश्रित परिणाम देता है।
कुछ बातें बहुत अच्छी होती हैं और कुछ परेशान करने वाली। इस भाव में शुक्र व्यक्ति को मजबूत बनाता है, लेकिन साथ ही यह रिश्तों, प्रेम और सेहत से जुड़ी दिक्कतें भी दे सकता है। शुक्र छठे भाव में बैठकर व्यक्ति को दूसरों की मदद करने वाला बनाता है, मगर कभी-कभी दूसरों के झंझटों में फंसा भी देता है। आइए जानते हैं इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं और किन उपायों से इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
शुक्र छठे भाव के सकारात्मक प्रभाव
- मददगार स्वभाव: जिन लोगों का शुक्र छठे भाव में होता है, वे दूसरों की मदद करने में आगे रहते हैं। समाज में इनकी छवि एक दयालु और समझदार इंसान की बनती है।
- सेवा और चिकित्सा से लाभ: ऐसे लोग अक्सर हेल्थ, मेडिसिन, सोशल वर्क या ब्यूटी-सर्विस से जुड़े कामों में सफलता पाते हैं। इन्हें दूसरों की सेवा करने में सच्ची खुशी मिलती है।
- कर्ज और शत्रुओं पर विजय: शुक्र की स्थिति मजबूत होने पर व्यक्ति अपने विरोधियों पर आसानी से हावी हो जाता है। उसे अपने प्रयासों से जीत मिलती है।
- काम में निपुणता: शुक्र इस भाव में व्यक्ति को काम में बारीकी से देखने की आदत देता है। चाहे वह आॅफिस का काम हो या घर का, हर जगह परफेक्शन बनाए रखने की कोशिश करता है।
- अच्छा जीवनसाथी: अगर कुंडली में बाकी ग्रह शुभ हों, तो ऐसा व्यक्ति समझदार और संतुलित जीवनसाथी पाता है, जो हर परिस्थिति में साथ निभाता है।
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