US-China Tariff War : ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजार डगमगाया

0
197
US-China Tariff War : ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजार डगमगाया
US-China Tariff War : ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजार डगमगाया

एक ही दिन में निवेशकों को लगा करीब 3 ट्रिलियन डॉलर का झटका

US-China Tariff War (आज समाज), बिजनेस डेस्क : विश्व की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच एक बार फिर से ट्रेड वार शुरू होने जा रहा है। अमेरिका की तरफ से इस संबंधी घोषणा हो चुकी है। वह एक नवंबर से चीन के उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ वसूल करेगा। हालांकि अभी चीन की तरफ से इस संबंधी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है लेकिन यह माना जा रहा है कि जल्द ही चीन भी ऐसा ही कदम उठाने की घोषणा कर देगा। इससे एक बार फिर से पूरे विश्व के बाजारों पर इसका नकारात्मक असर देखने को मिलेगा।

अमेरिकी शेयर बाजार और क्रिप्टो मार्केट क्रैश

शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार और क्रिप्टो मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली। इससे निवेशकों को करीब 3 ट्रिलियन डॉलर का झटका लगा। डाउ में 879 अंक यानी 1.9% गिरावट आई जो मई के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। इसी तरह एसएंडपी व नेस्डेक कोम्पोसाइट 500 में 2.71% गिरावट रही। एसएंडपी 500 और नैसडैक में यह अप्रैल के बाद एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। इससे निवेशकों को करीब 2.5 ट्रिलियन डॉलर का झटका लगा। एआई और चिप स्टॉक्स में सबसे ज्यादा गिरावट आई। दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी एनवीडिया के शेयरों में 4.95% और एएमडी में 7.78% गिरावट आई।

एक नवंबर से चीन पर लगेगा इतना टैरिफ

अमेरिका ने 1 नवंबर, 2025 से चीनी सामानों पर अतिरिक्त 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे चीनी आयात पर कुल टैरिफ दर लगभग 130% हो जाएगी। यह कदम चीन की ओर से 9 अक्टूबर, 2025 को रेयर अर्थ (दुर्लभ पृथ्वी खनिज) के निर्यात पर नए नियंत्रण लगाने के जवाब में उठाया गया है। रेयर अर्थ अमेरिका के रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और स्वच्छ ऊर्जा उद्योगों के लिए बहुत जरूरी हैं।

फिलहाल, अमेरिका भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाता है। यह चीन के 30% टैरिफ से ज्यादा है। इस बार अमेरिका किसी तरह की काई रियायत नहीं देगा और एक नवंबर से चीन को यह टैरिफ देना होगा। दूसरी तरफ चीन भी एक विकसित और विशाल अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही वह निर्यात के लिए केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं है। यही कारण है कि चीन किसी भी तरह से अमेरिकी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। इसका भारतीय निर्यातकों को फायदा मिलने की उम्मीद है।