यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद रूसी नीतियों से भारत हुआ प्रभावित, लगातार बढ़ता गया आयात का आंकड़ा
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत हमेशा से ही कच्चे तेल के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर रहा है। जरूरत के हिसाब से लगभग सारा तेल भारत दूसरे देशों से आयात करता रहा है। हालांकि 2021 से पहले और इसके बाद भारत का आयात लगातार बदलता गया। इससे पहले जहां भारत अपनी जरूरत का ज्यादात्तर तेल इराक, सऊदी अरब और यूएई, रूस और अमेरिका से करता था।
2021 में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद यह तस्वीर बदलती गई। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में भारत का रोजाना तेल आयात 40 लाख बैरल था। इसमें रूस की हिस्सेदारी महज 100,000 बैरल थी। वहीं 2021 के बाद भारत से रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाना शुरू कर दिया और अन्य देशों से कम करना शुरू कर दिया।
रूस से तेल आयात से अमेरिका को नुकसान
भारत के तेल बाजार में रूस की बढ़ती पकड़ ने ट्रेड के तौर-तरीकों को बदल दिया है। इस दौरान रूस भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बनकर उभरा है। लेकिन इससे भारत को तेल सप्लाई करने वाले सबसे बड़े देशों इराक, सऊदी अरब और यूएई पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। लेकिन अमेरिका को भारी नुकसान हुआ है। अमेरिका से भारत को होने वाली कच्चे तेल की सप्लाई चार साल पहले की तुलना में एक तिहाई कम हो गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि छोटे सप्लायरों को भी नुकसान हुआ है।
दूसरे देशों को इस तरह हुआ नुकसान
2021 से इराक और सऊदी अरब से तेल की सप्लाई में लगभग 5% की कमी आई है। 2021 वह साल था जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था। इस दौरान यूएई से सप्लाई 3% बढ़ी है। इसके विपरीत छोटे सप्लायरों से होने वाली सप्लाई पर असर पड़ा है। अमेरिका से सप्लाई एक तिहाई कम हो गई है। नाइजीरिया और कुवैत से शिपमेंट आधे हो गए हैं। ओमान और मैक्सिको से शिपमेंट 80% से ज्यादा गिर गए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में भारत का रोजाना तेल आयात 40 लाख बैरल था। इसमें रूस की हिस्सेदारी महज 100,000 बैरल थी। 2022 में रूस से रोजाना सप्लाई 1.76 मिलियन बैरल पहुंच गई। 2025 में रूस अभी भी टॉप पर है। रूस रोजाना औसतन लगभग 1.7 मिलियन बैरल की सप्लाई कर रहा है।
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