5G Spectrum Direct Allocation: 5जी नेटवर्क के लिए सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन के विरोध में टेलीकॉम कंपनियां

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5G Spectrum Direct Allocation: 5जी नेटवर्क के लिए सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन के विरोध में टेलीकॉम कंपनियां
5G Spectrum Direct Allocation: 5जी नेटवर्क के लिए सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन के विरोध में टेलीकॉम कंपनियां

कहा- भारत में सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन की अनुमति देना उचित नहीं
5G Spectrum Direct Allocation, (आज समाज), नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियां भारत में प्राइवेट 5जी नेटवर्क के लिए सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन के विरोध में उतर आई है। सेल्युलर आॅपरेटर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया ने कहा है कि भारत में प्राइवेट 5जी नेटवर्क के लिए सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन की अनुमति देना उचित नहीं है। एसोसिएशन ने लागत, सुरक्षा और रेगुलेटरी संतुलन को लेकर गंभीर चिंताएं जताई।

उन्होंने कहा कि यह कदम देश के लिए न तो आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा और न ही सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित। साथ ही यह भी कहा कि 2022 में स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को 1.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। अगर सीधे कंपनियों को स्पेक्ट्रम दे दिया गया तो सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब डिपार्टमेंट आॅफ टेलीकम्युनिकेशंस ने प्राइवेट नेटवर्क्स के लिए सीधे स्पेक्ट्रम देने की मांग का ताजा आकलन शुरू किया है।

स्पेक्ट्रम लीजिंग या नेटवर्क स्लाइसिंग जैसे विकल्प मौजूद

सेल्युलर आॅपरेटर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया में शामिल रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी बड़ी कंपनियों का मानना है कि सभी एंटरप्राइज 5जी जरूरतों को लाइसेंस प्राप्त टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए पूरा किया जाना चाहिए। इसके लिए स्पेक्ट्रम लीजिंग या नेटवर्क स्लाइसिंग जैसे विकल्प मौजूद हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, राजस्व संरक्षण और रेगुलेटरी बैलेंस सुनिश्चित करते हैं।

राष्ट्रीय और साइबर सुरक्षा को खतरा

एसोसिएशन ने अपने विरोध के कई कारण बताए। पहला, डायरेक्ट स्पेक्ट्रम आवंटन से कंपनियों पर भारी पूंजीगत और संचालन लागत का बोझ पड़ेगा, क्योंकि ज्यादातर कंपनियों के पास टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर संभालने की विशेषज्ञता या स्केल नहीं है। दूसरा, बिना लाइसेंस या विदेशी संस्थाओं द्वारा संचालित प्राइवेट नेटवर्क राष्ट्रीय सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और निगरानी से जुड़े जोखिम बढ़ा सकते हैं।