पुलिस ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया, दिल्ली के राजौरी गार्डन निवासी उमर के नाम रजिस्टर्ड है कार
Delhi Red Fort Blast (आज समाज), नई दिल्ली : दिल्ली विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। इसके साथ ही अब सारी जांच फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के इर्द-गिर्द की चल रही है। बताया जा रहा है कि जिस कार से दिल्ली में विस्फोट किया गया वह दस दिन तक यूनिवर्सिटी में खड़ी रही। इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिला था कि आरोपियों के पास एक लाल रंग की कार भी थी। जिसका प्रयोग भी आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए किया जाना था। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियां इस कार की तलाश में जुट गई।
इस जगह मिली दूसरी संदिग्ध कार
दिल्ली आतंकी हमले की जांच के सिलसिले में फरीदाबाद के खंदावली गांव में धौज गांव के पूर्व सरपंच के खाली प्लॉट पर मिली लाल रंग की इको स्पॉर्ट्स कार की जांच पूरी हो गई है। एफएसएल की फॉरेंसिक टीम और एनएसजी की बम स्क्वॉड ने गाड़ी की गहन जांच की। इसके बाद फरीदाबाद के खंदावली गांव से एक संदिग्ध शख्स को बुधवार रात पकड़ा है। जांच के बाद दोनों टीमें दिल्ली वापस लौट गईं। मौके पर पुलिस प्रशासन और क्राइम ब्रांच की टीम मौजूद रही। स्थानीय गवाह ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब 9 बजे दो व्यक्ति और एक महिला कार को ईदगाह के पीछे खड़ी करके चले गए थे। उन्होंने कहा था कि हम अभी आ रहे हैं। लाल रंग की गाड़ी दिल्ली के राजौरी गार्डन के उमर नामक व्यक्ति के नाम पर है।
पुलिस ने आसपास का एरिया कराया था खाली
ज्ञात रहे कि खंदावली गांव से बाहर 200 मीटर दूर खेतों में बने लगभग 10 घरों में फहीम के घर के पास लाल रंग की कार खड़ी होने की सूचना जब पुलिस को मिली तो तुरंत वहां पर कई सुरक्षा टीमें पहुंच गई। बताया जा रहा था कि कार में विस्फोटक था। जिसके बाद वहां आसपास के 10 घरों को खाली करवा लिया गया मौके पर 400 से अधिक सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए।
अलफलाह यूनिवर्सिटी कैंपस बना साजिश का केंद्र
राजधानी दिल्ली में सोमवार देर शाम लाल किले के नजदीक हुए शक्तिशाली विस्फोट में जहां कई लोगों की मौत हो गई वहीं यह हमला कई सवाल भी खड़े कर गया है। सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा व गुप्तचर एजेंसियों पर उठना लाजमी है। आखिर फरीदाबाद यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर द्वारा इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार जमा करने की सूचना किसी भी एजेंसी को नहीं लगी।
यहां तक की यूनिवर्सिटी प्रबंधन भी इस सबसे अज्ञात रहा। जिसके बाद 2921 किलो विस्फोटक समेत आतंक की पूरी कहानी अल फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 के कमरा नंबर 13 में रची गई। रविवार को जब डॉ. मुज्जमिल अहमद गनेई उर्फ मुसैब व उसके साथियों तक सुरक्षा एजेंसियों की टीमें पहुंची तो क्या सच में देर हो चुकी थी और आरोपी अपने टारगेट में कामयाब होने के नजदीक थे।
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