जाने पूजा विधि और पितरों के तर्पण का तरीका
Shanicharee Amaavasya, (आज समाज), नई दिल्ली: इस साल भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त दिन शुक्रवार से शुरू हो चुकी है। शुक्रवार सुबह 11 बजकर 55 मिनट के लगभग अमावस्या की तिथि थी, जिसका समापन 23 अगस्त की सुबह 11 बजकर 35 मिनट के लगभग पर हो जाएगा। ऐसे में उदाया तिथि के अनुसार, 23 अगस्त को ही अमावस्या मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान दान और पूजापाठ करने का खास महत्व होता है। ये भी माना जाता है कि अमावस्या को पितृ धरती पर परिजनों को देखने आते हैं। यदि, इस दिन उनके नाम से दान-पुण्य किए जाएं तो पितर प्रसन्न होकर शुभ फल की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
विधि पूर्वक पूजा-पाठ करने मा लक्ष्मी भी होती है प्रसन्न
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो लोग भाद्रपद अमावस्या के दिन अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए कुछ उपाय करते हैं, तो उनकी इच्छा अवश्य पूरी होती है। साथ ही इस दिन जो लोग पवित्र नदी में स्नान कर कुछ चीजों का दान और विधि पूर्वक पूजा-पाठ करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है। उन्हें भविष्य में धन-संपत्ति आदि की कमी नहीं होती है।
कब और कैसे करें पितरों का तर्पण
हर एक पूजा-पाठ का नियम रहता है। पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे सही समय प्रात:काल का होता है। सूर्योदय के समय आपको स्नान ध्यान के बाद पितरों को तर्पण देने चाहिए। पितृ तर्पण के लिए आपको सफेद पुष्प, काले तिल और कुश का उपयोग करना चाहिए।
पितरों का तर्पण दक्षिण दिशा में मुख करके किया जाता है। तर्पण के दौरान पितरों का ध्यान करना चाहिए। उनसे सुख-समृद्धि की कामना करनी चाहिए। इस दिन दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन किया हुआ दान-पुण्य करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं।
भूलकर भी ना करें यह कार्य
इस दिन मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है। साथ ही किसी भी प्रकार के झूठ, क्रोध, छल या कपट से बचना चाहिए। पितरों के दिन होने से इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह या मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं करना चाहिए। पशु-पक्षियों को कष्ट पहुंचाना और पेड़-पौधों को काटना अशुभ माना जाता है।