मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की उच्च स्तरीय टीम के समक्ष राज्य की मांगें जोरदार ढंग से उठाईं
Punjab CM News (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान ने एक बार फिर से पंजाब के पानी का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि पंजाब पानी की किल्लत के भयानक दौर से गुजर रहा है। मान ने कहा कि राज्य के ज्यादात्तर जिले डार्क जोन में जा चुके हैं और भूमिगत जल का संकट बहुत जल्द प्रदेश के सामने होगा। मान ने इसको लेकर नीति आयोग की टीम के सामने राज्य का पक्ष जोरदार ढंग से रखा और समर्थन की मांग की ताकि एक ओर पंजाब का समग्र विकास सुनिश्चित हो और दूसरी ओर इसके हितों की भी रक्षा हो।
केंद्र सरकार खुले दिल से करे पंजाब की मदद
नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और प्रोग्राम डायरेक्टर संजीत सिंह के नेतृत्व वाली टीम के साथ विचार-विमर्श के दौरान मुख्य मंत्री ने कहा कि यह उपयुक्त समय है जब आयोग को पानी और कृषि से संबंधित पंजाब की समृद्ध विरासत को बचाने के लिए खुले दिल से मदद करनी चाहिए। इस दौरान, मुख्य मंत्री ने कहा कि जब अब सिंधु नदी का पानी देश के आंतरिक राज्यों को दिया जाना है, तो पंजाब का इस पर प्राथमिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि पंजाब लंबे समय से देश की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करता आ रहा है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि इसे अपनी सिंचाई जरूरतों के लिए पानी दिया जाए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य के हितों की हर तरह से रक्षा की जानी चाहिए और इस पर कोई कसर बाकी नहीं छोड़नी चाहिए।
फसली विविधता को बढ़ावा देना बहुत जरूरी
मुख्य मंत्री ने फसली विविधता और कम पानी वाली धान की किस्मों की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की मांग की। उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन 2025 के दौरान पंजाब सरकार ने राज्य में खरीफ मक्का को बढ़ावा देने के लिए छह जिलों में पायलट परियोजना शुरू की है, इसके लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपए की वित्तीय सहायता दी जा रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि भारत सरकार को ऐसी पहल का समर्थन करके 17,500 रुपए प्रति हेक्टेयर का नकद भुगतान करने के लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए ताकि राज्य के सभी मक्का उत्पादक मौजूदा फसली विविधता कार्यक्रम से जुड़ सकें।
बीबीएमबी कर रहा पक्षपात
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) की पक्षपातपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाते हुए, मुख्य मंत्री ने कहा कि बोर्ड का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के तहत किया गया था, जिसका अधिकार भाखड़ा, नंगल और ब्यास परियोजनाओं से भागीदार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी और बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि पिछले समय में पंजाब अपनी पीने के पानी और अन्य वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए भागीदार राज्यों के साथ पानी साझा करने में बहुत उदार रहा है क्योंकि पंजाब अपनी पानी की मांग, खासकर धान की फसल के लिए पानी की मांग को पूरा करने के लिए अपने भूजल भंडारों पर निर्भर रहा है।
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