Punjab News : चार माह पहले हुई थी प्रीतपाल की शादी, हरमिंदर था अभी अविवाहित

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Punjab News : चार माह पहले हुई थी प्रीतपाल की शादी, हरमिंदर था अभी अविवाहित
Punjab News : चार माह पहले हुई थी प्रीतपाल की शादी, हरमिंदर था अभी अविवाहित

कल कुलगाम जिले में शहीद हुए थे पंजाब के दो जवान, पंजाब सरकार शहीद सैनिकों के परिजनों को देगी एक-एक करोड़ रुपए

Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : जम्मू-कश्मीर में कुलगाम जिले के अखल जंगल में आतंकियों से चल रही मुठभेड़ में पंजाब के दो जवान गत दिवस शहीद हो गए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लांसनायक प्रीतपाल सिंह और सैनिक हरमिंदर सिंह के शहादत को लेकर अपने फेसबुक अकाउंट से पोस्ट किया है। लिखा- हम शहीदों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।

देश की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिकों के जज्बे और बहादुरी को सलाम। सरकार के वादे के अनुसार, परिवारों को 1-1 करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी जाएगी। ज्ञात रहे कि फतेहगढ़ साहिब लोकसभा क्षेत्र के गांव बदीनपुर के 26 वर्षीय सिपाही हरमिंदर सिंह और खन्ना के गांव मानूपुर के 28 वर्षीय लांस नायक प्रीतपाल सिंह ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

रक्षाबंधन के दिन मिली शहादत की खबर

रक्षाबंधन से ठीक पहले आई इस खबर ने दोनों परिवारों में मातम का माहौल है। प्रीतपाल सिंह की शादी को अभी सिर्फ 4 महीने ही हुए थे। परिवार राखी पर घर में खुशियां मनाने की उम्मीद कर रहा था। वहीं, हरमिंदर सिंह की मां और बहनें उनकी सुरक्षित वापसी का इंतजार कर रही थीं, लेकिन उनके शहीद होने की खबर पहुंची।

10 साल पहले सेना में भर्ती हुआ था प्रीतपाल

प्रीतपाल के पिता हरबंस सिंह ने कहा- मेरे बेटे को 10 साल हो चुके थे फौज में भर्ती हुए। आज सुबह अधिकारियों का फोन आया तो उसके शहीद होने की जानकारी मिली। अभी कुछ नहीं बताया कि उसे लेकर कब आएंगे। उसकी शादी को भी 4 महीने ही हुए थे, तभी वह छुट्टी लेकर घर आया था। उससे आखरी बात जब हुई थी तो उसने कहा था कि मैं ठीक हूं। उसके जाने के बाद अब हमारा सब कुछ उजड़ गया है। सबसे ज्यादा लाडला मेरा बेटा वही था। मैंने उसे गरीबी में दिहाड़ी करके पाला था, लेकिन आज वह मुझे छोड़ कर चला गया।

बचपन से ही मेहनती था हरमिंदर

हरमिंदर के दोस्त गुरविंदर सिंह ने उसकी संघर्ष भरी गाथा सुनाई। बताया कि हरमिंदर बचपन से ही बेहद मेहनती था। कठिन परिस्थितियों में भी वह हंसकर सबका मनोबल बढ़ाता था। गांव में जब भी आता, बच्चों के साथ खेलता और बुजुर्गों की सेवा करता। उसकी शहादत की खबर गांव में पहुंचते ही मातम पसर गया। घर के बाहर लोगों का तांता लग गया। हर कोई उसकी बहादुरी के किस्से सुना रहा था। गांव के बुजुर्ग कह रहे थे- “हरमिंदर ने सचमुच अपना कर्ज निभा दिया।

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