Pradosh Vrat: आज रखा जाएगा प्रदोष व्रत

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Pradosh Vrat: आज रखा जाएगा प्रदोष व्रत
Pradosh Vrat: आज रखा जाएगा प्रदोष व्रत

महादेव संग पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए करें ये उपाय
Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: शास्त्रों में प्रदोष व्रत की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। कहा गया है कि यह व्रत करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि, शांति और कल्याण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर को देर रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 19 सितंबर को देर रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगा। इसलिए 19 सितंबर को प्रदोष व्रत मान्य होगा और इस तिथि पर शाम 06 बजकर 21 मिनट से लेकर 08 बजकर 43 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।

इन चीजों का करें दान

इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और उनके पूरे परिवार की पूजा-आराधना की जाती है। इस दौरान शिवभक्त विधि-विधान से शिवलिंग पर जलाभिषेक और प्रभु के समक्ष बेलपत्र चढ़ाते हैं। चूंकि इस दिन दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है, इसलिए आमतौर पर वस्त्र, धन, भोजन और सफेद चीजों का दान किया जाता है।

इन खास मंत्रों का करें जाप

अब चूंकि यह व्रत पितृ पक्ष में रखा जा रहा है, इसलिए इस दिन शिव जी के साथ-साथ कुछ अन्य खास मंत्रों का जाप करने से पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

पितृ तर्पण मंत्र

  • ॐ पितृभ्य: स्वधा नम:।

पितृ शांति मंत्र

  • ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
    उवार्रुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

श्राद्ध मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।

पितृ दोष निवारण मंत्र

  • ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नम:।

गायत्री पितृ दोष निवारण मंत्र

  • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

महामृत्युंजय मंत्र

  • ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    ऊवार्रुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

शिव जी का मूल मंत्र

  • ऊँ नम: शिवाय।।

भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र

  • ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
  • ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
  • ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय।।

शिव के प्रिय मंत्र

  • ॐ नम: शिवाय।
  • नमो नीलकण्ठाय।
  • ॐ पार्वतीपतये नम:।