आरोपी के वकील ने हाईकोर्ट में डाली थी जमानत याचिका
Delhi News (आज समाज), नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा की पीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए तीन साल से जेल में बंद पाकिस्तानी जासूस मोहसिन खान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इस संबंधी फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा कि आरोपी द्वारा किया गया अपराध पूरे देश और भारतीयों की सुरक्षा से जुड़ा है और वह देश की सुरक्षा के खिलाफ काम करने वाले एक गिरोह का हिस्सा था।
ऐसे में पीठ उसको जमानत पर रिहा नहीं करना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में हिरासत में बिताए गए समय के बजाय अदालत को न्याय और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित काम करना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह अपराध सिर्फ किसी व्यक्ति, संस्था या समूह के खिलाफ न होकर भारत की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के विरुद्ध था।
याचिका में मोहसिन खान ने यह कहा था
जमानत की मांग करते हुए मोहसिन खान ने कहा कि उसे फंसाया गया है। जासूसी से उसका कोई संबंध नहीं है और उसके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है। यह भी कहा कि मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और वह तीन साल से जेल में है। मामले में सुनवाई धीमी हो रही है और 19 मई को ही आरोप तय किए गए हैं।
अभियोजन पक्ष ने यह दलील दी
याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि सह-आरोपी की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है और मोहसिन खान ने जासूसी में सक्रिय भूमिका निभाई है। ज्ञात रहे कि मोहसिन खान मोबाइल रिपेयरिंग और रिचार्ज की दुकान चलाता था। पाक उच्चायोग के वीजा अधिकारी को सेना की गोपनीय जानकारी उपलब्ध कराकर पैसे लेता था। वर्ष 2021 में दिल्ली क्राइम ब्रांच को खुफिया सूचना मिली कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ लोग देश विरोधी गतिविधि में शामिल हैं। क्राइम ब्रांच ने राजस्थान के पोखरण से आरोपी हबीबुर्रहमान को सेना के गोपनीय दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया। उसने बताया था कि गोपनीय दस्तावेज एक नाइक क्लर्क परमजीत कुमार से मिलते थे।
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