SCO Joint Declaration : एससीओ समिट में हुई पाकिस्तान की फजीहत

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SCO Joint Declaration : एससीओ समिट में हुई पाकिस्तान की फजीहत
SCO Joint Declaration : एससीओ समिट में हुई पाकिस्तान की फजीहत

एससीओ सदस्यों के संयुक्त घोषणापत्र में पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की गई

SCO Joint Declaration (आज समाज), तियानजिन : आंतकवाद को संरक्षण देने के मामले पर पाकिस्तान की एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर फजीहत हुई है। इस बार उसे एससीओ समिट में उस समय मुंह की खानी पड़ी जब समिट के अंत में सदस्य देशों की तरफ से जारी किए गए संयुक्त घोषणा पत्र में अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की गई। इस दौरान सदस्य देशों ने इस हमले में मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की। साथ ही, उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों के दोषियों, योजनाकारों और मददगारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।’

घोषणापत्र में यह भी कहा गया

तियानजिन घोषणा में आगे कहा गया, सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी मजबूत प्रतिबद्धता को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी तरह से आतंकवादी, अलगाववादी या उग्रवादी समूहों का निजी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। सदस्य देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की और यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों में आतंकवाद से मिलकर लड़ें।

भारत और चीन ने आपसी मतभेदों से ऊपर उठने की सहमति

जैसे की पहले से उम्मीद जताई जा रही थी सात साल बाद भारत के पीएम का चीन दौरा इस बार बहुत अहम रहा। पीएम मोदी और चीन के राष्टÑपति शी जिनपिंग ने जहां दोनों देशों को आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर भविष्य की चुनौतियों का मिलकर सामना करने पर सहमति जताई वहीं जिनपिंग ने ट्रंप का नाम लिए बिना स्पष्ट कर दिया कि यह दौर किसी की दादागिरी दिखाने और सहने का नहीं है।

तीनों देश दुनिया का नया पावर सेंटर बनेंगे

दुनिया में डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एक नया वित्तीय ढांचा तैयार करने की कोशिश की जा रही है। भारत, रूस और चीन की यह दोस्ती दुनिया में एक नया पावर सेंटर बना सकती है, जो अमेरिका और उसके सहयोगियों से अलग होगा। यह सब दुनिया में शक्ति संतुलन को बदलने का काम कर रहा है न सिर्फ एससीओ बल्कि ब्रिक्स को मजबूत करके भी ये तीनों देश अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती दे सकते हैं।

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