- हत्या के दोष में 2018 में सुनाई गई थी मौत की सज़ा
MEA On Nimisha Death Sentence, (आज समाज), नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय (MEA) के सूत्रों ने निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा के बारे में ग्रैंड मुफ़्ती के दावे को खारिज कर दिया है। सुन्नी नेता कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार के कार्यालय (ग्रैंड मुफ़्ती) ने सोमवार को दावा किया कि हौथी मिलिशिया ने निमिषा की फांसी की सज़ा रद्द कर दी है। निमिषा यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी (Talal Abdo Mahdi) की कथित हत्या के लिए मौत की सजा पर है।
निमिषा ने 2017 में कर दी थी महदी की हत्या
कंथापुरम के कार्यालय ने हालांकि, स्वीकार किया कि अभी तक उन्हें यमन के अधिकारियों से इस फैसले की पुष्टि करने वाला कोई आधिकारिक लिखित संदेश नहीं मिला है। कंथापुरम का यह दावा केरल (Kerala) की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया की 16 जुलाई को होने वाली फांसी को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किए जाने के कुछ दिन बाद आया है, क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि तलाल के परिवार के साथ रक्त-धन के विकल्प पर चर्चा की जा रही है, जिसकी कथित तौर पर निमिषा प्रिया ने 2017 में हत्या कर दी थी।
2018 में सुनाई गई थी मौत की सज़ा
निमिषा प्रिया को 2017 में तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया था और 2018 में उसे मौत की सज़ा सुनाई गई थी। उसे इस साल 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। पहले बताया गया था कि उसकी मौत की सज़ा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला सना में एक उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान लिया गया था, जहां वरिष्ठ यमनी विद्वानों – जिन्हें भारतीय ग्रैंड मुफ़्ती के अनुरोध पर शेख उमर हफील थंगल ने चुना था – ने उत्तरी यमन के शासकों और अंतर्राष्ट्रीय राजनयिकों के साथ बातचीत की थी।
निमिषा बेहतर भविष्य की तलाश में 2008 में गई थी यमन
बता दें कि निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर भविष्य की तलाश में केरल से यमन गई थीं। वर्षों बाद, वह अपने पूर्व व्यावसायिक साझेदार की हत्या के आरोप में, दुर्व्यवहार और हताशा के आरोपों के बीच, मौत की सजा का सामना कर रही हैं। उनका परिवार और कार्यकर्ता उन्हें बचाने के लिए लड़ रहे हैं, बस एक ही उम्मीद बची है, पीड़ित परिवार से माफी। लेकिन भारत और हूती शासन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं होने और बातचीत में देरी के कारण निर्णय में देरी हो रही है।
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