Maharashtra News: सतारा में महिला डॉक्टर आत्महत्या केस में दूसरी गिरफ्तारी, पुलिस एसआई गोपाल बदने ने किया सरेंडर

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आरोपी पुलिसकर्मी सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने और ज्यादतियों से तंग आकर आत्महत्या करने वाली डॉक्टर संपदा मुंडे का फाइल फोटो।

Maharashtra Doctor Suicide Today Update, (आज समाज), मुंबई: महाराष्ट्र के सतारा जिले में सरकारी अस्पताल में कार्यरत महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी पुलिसकर्मी सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में यह दूसरी गिरफ्तारी है। पिछले कल शनिवार को, पीड़िता डॉक्टर संपदा मुुंडे (Dr. Sampada Munde) जिस घर में किराए पर रहती थी, उसके मालिक के बेटे प्रशांत बनकर को अरेस्ट किया गया था।

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होटल के कमरे में मिला है डॉक्टर संपदा का शव 

डॉक्टर संपदा सतारा जिले के  फलटण सिविल अस्पताल (Phaltan Civil Hospital) में कार्यरत थी। उन्होंने उन्होंने 23 अक्टूबर को शहर के एक होटल में आत्महत्या कर ली है। गुरुवार रात को एक होटल के कमरे में उनका शव मिला था। वह बीड जिले की रहने वाली थी। डॉक्टर संपदा ने गोपाल बदने (Gopal Badne) पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। मौत को गले लगाने से पहले पीड़िता ने अपनी हथेली पर लिखे चार पेज के  सुसाइड नोट में कहा है कि बदने ने उसके साथ पांच माह में कई बार दुष्कर्म किया और वह अब इससे तंग आ गई है।

फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का दबाव बना रहे थे आरोपी 

डॉक्टर संपदा पर गोपाल बदने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का दबाव बना रहा था और उसकी प्रशांत बनकर से भी मिलीभगत थी। इसके साथ पीड़िता ने लिखा है कि एक सांसद और उनके दो निजी सहायक भी फोन पर उन्हें फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के लिए दबाव बना रहे थे। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस के अनुसार गोपाल बदने शनिवार शाम को फलटण ग्रामीण थाने में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद उसे अरेस्ट कर लिया किया गया। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत पर सुसाइड नोट में पीड़िता ने उन्हें मेंटल हेरैस करने का आरोप लगाया है। उसके खिलाफ भी डॉकटर को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज है।

जो लोग अस्पताल आए ही नहीं, उनका सर्टिफिकेट बनाने का दबाव

पुलिस सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच कर रही है। पीड़िता के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर संपदा पर झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने के लिए राजनीतिक और पुलिस का बहुत दबाव था। उन्होंने इसकी शिकायत करने के लिए डीसीपी को पत्र लिखा था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। बताया जा रहा है पीड़िता पर ऐसे लोगों का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का दबाव बनाया जा रहा था जो अस्पताल आए भी नहीं थे।

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