Lance Naik Narendra Sindhu Martyr: कैथल के शहीद जवान का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार

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Lance Naik Narendra Sindhu Martyr: कैथल के शहीद जवान का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार
Lance Naik Narendra Sindhu Martyr: कैथल के शहीद जवान का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार

पैतृक गांव रोहेड़ा में किया गया अंतिम संस्कार, चचेरे भाई ने मुखाग्नि दी
Lance Naik Narendra Sindhu Martyr,(आज समाज), कैथल: हरियाणा के कैथल के शहीद जवान का पार्थिक शरीर आज पैतृक गांव रोहेड़ा पहुंचा। जहां पर जवान का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद जवान को चचरे भाई अंकित ने मुखाग्नि दी। इससे पहले बुधवार सुबह उनका शव पैतृक गांव रोहेड़ा पहुंचा था, जिसके बाद अंतिम दर्शन कराए गए। इसके बाद अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें काफी संख्या में लोग तिरंगा लेकर चले। नरेंद्र अमर रहे के नारे भी लगाए गए।

गौरतलब है कि 28 वर्षीय लांसनायक नरेंद्र सिंधु सोमवार को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के 2 आतंकवादी भी मारे गए थे। इनमें से एक आमिर अहमद डार पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी 14 आतंकवादियों की सूची में शामिल था। नरेंद्र साल 2017 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में नरेंद्र राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे।

नरेंद्र का छोटा भाई रहता है अमेरिका में, बहनों की हो चुकी शादी

नरेंद्र का जन्म 5 अक्टूबर 1996 को गांव रोहेड़ा में हुआ था। उन्होंनें अपनी 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के एक प्राइवेट स्कूल से की थी। पिता दलबीर सिंह किसान हैं और माता रोशनी देवी गृहिणी हैं। परिवार में दो बहनें और एक छोटा भाई है। बहनों की शादी हो चुकी है। नरेंद्र का छोटा भाई वीरेंद्र अमेरिका में रहता है। वह 2023 में अमेरिका में गया था, जहां अब वह एक होटल में सहायक की नौकरी करता है।

साढ़े 3 महीने पहले घर आया था नरेंद्र

अभी तक नरेंद्र की शादी नहीं हुई थी। ताऊ के बेटे विक्रम ने बताया कि नरेंद्र की शादी के बारे में परिवार के लोगों की बातचीत चल रही थी। परिवार का कहना था कि जम्मू कश्मीर में नरेंद्र की ड्यूटी का समय पूरा होने वाला था। उन्होंने नया घर बनाया था। वह अक्टूबर में छुट्टी आने वाले थे। नरेंद्र अंतिम बार करीब साढ़े 3 महीने पहले अपने घर पर छुट्टी पर आए थे।

मां सदमे में

नरेंद्र के बलिदान की खबर मिलने के बाद उनकी मां रोशनी देवी बार-बार बेहोश हुईं। रोशनी देवी ने कुछ दिनों पहले ही अपने दो भाइयों को खोया था, और वह उस सदमे से अभी उबर भी नहीं पाई थीं कि उनके बेटे के बलिदान की खबर आ गई।

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