Space Station Earth Video Call Technology: जानिए अंतरिक्ष से धरती पर बिना मोबाइल नेटवर्क कैसे होती है वीडियो कॉल

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Space Station Earth Video Call Technology: जानिए अंतरिक्ष से धरती पर बिना मोबाइल नेटवर्क कैसे होती है वीडियो कॉल
Space Station Earth Video Call Technology: जानिए अंतरिक्ष से धरती पर बिना मोबाइल नेटवर्क कैसे होती है वीडियो कॉल

अंतरिक्ष में नहीं होता मोबाइल नेटवर्क
Space Station Earth Video Call Technology (आज समाज) नई दिल्ली: अंतरिक्ष से धरती पर बिना मोबाइल नेटवर्क के वीडियो कॉल कैसे होती है?। यह एक बड़ा सवाल है। क्योंकि वहां पर अंतरिक्ष में हवा नही होती। हवा होने के कारण वहां वैक्यूम होता है और इस वजह से वहां कोई मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर सकता। वहां इंटरनेट के तार या वाई-फाई जैसी कोई आम सुविधा मौजूद नहीं होती।

इसके बावजूद वैज्ञानिक लगातार धरती से संपर्क में रहते हैं। हाल ही में एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की, जिसने इस सवाल को फिर से चर्चा में ला दिया है। यह चमत्कार विज्ञान और उच्च तकनीक की बदौलत संभव हुआ है।

NASA का ‘स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम’ पूरी प्रक्रिया का आधार

NASA का ‘स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम’ यानी SCaN इस पूरी प्रक्रिया का आधार है। यह सिस्टम ट्रांसमिशन, रिले और रिसेप्शन की मदद से काम करता है। संदेश को पहले कोड में बदलकर ट्रांसमिट किया जाता है, फिर नेटवर्क के माध्यम से रिसीवर तक पहुंचता है और अंत में डिकोड होकर ऑडियो या वीडियो फॉर्म में बदल जाता है।

एंटीना 

स्पेस स्टेशन और धरती के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए नासा ने दुनियाभर के सातों महाद्वीपों पर विशाल एंटीना लगाए हैं। इनकी लंबाई करीब 230 फुट होती है। इतना बड़ा आकार और हाई-फ्रीक्वेंसी होने के कारण ये उपकरण 200 करोड़ मील की दूरी तक सिग्नल भेजने और रिसीव करने में सक्षम हैं।

रेडियो वेव्स से लेकर लेजर तक की योजना

फिलहाल नासा रेडियोवेव्स के जरिए अंतरिक्ष से संचार करता है। लेकिन भविष्य को ध्यान में रखते हुए अब एजेंसी लेजर आधारित इन्फ्रारेड तकनीक पर काम कर रही है, जिससे डेटा ट्रांसमिशन और भी तेज और सटीक हो जाएगा।

रिले सैटेलाइट्स निभाते हैं अहम भूमिका

NASA के पास ऐसे कई रिले सैटेलाइट्स मौजूद हैं जो स्पेस स्टेशन और ग्राउंड स्टेशन के बीच सपोर्ट सिस्टम का काम करते हैं। ये सैटेलाइट्स मैसेज को इंटरसेप्ट कर आगे बढ़ाते हैं, जिससे सीधा संपर्क बना रहता है।