- रागी जत्थों ने किया गुरू तेग बहादुर की महिमा का बखान
Jind News(आज समाज) जींद। शहर के ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में गुरू तेग बहादुर का 350 साला शहीदी दिवस को समर्पित महान गुरमत समागम श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया गया। समागम को लेकर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सानिध्य प्राप्त हुआ एवं प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार जगदीश सिंह झींडा व कार्यकारिणी सदस्य सरदार करनैल सिंह के सहयोग से कार्यक्रम में सैंकडों श्रद्धालुओं ने गुरू को नमन किया। वहीं गुरमत समागम के आरंभ में 28 चाहवान संगत को अमृत पान छकाया गया तथा समागम के दौरान गुरु का अटूट लंगर सँगत के लिए लगातार देर रात तक चलता रहा।
गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह के अनुसार महान गुरमत समागम में सिख जगत के रागी जत्थे, कथा वाचक, ढाढी जत्थे एवं विद्वान संत महापुरुष अपनी अपनी हाजिरी भर कर गुरमत समागम की शोभा का हिस्सा बने। गुरमत समागम में स्थानीय गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह रमदसिया के रागी जत्थे ने गुरबाणी कीर्तन गायन किया। इसके बाद दरबार साहिब अमृतसर से आए हजूरी रागी भाई हरमनदीप सिंह के रागी जत्थे ने निरोल गुरबाणी कीर्तन करके संगतों का दिल मोह लिया।
गुरु तेग बहादुर साहिब ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपना शीश कुर्बान कर दिया
सिख जगत के प्रसिद्ध कथा वाचक बाबा बंता सिंह ने अपने प्रवचनों में सिख कौम को बहादुर कौम बताते हुए कहा कि हिंद दी चादर गुरु तेग बहादुर साहिब ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपना शीश कुर्बान कर दिया। उनकी यह बेमिसाल शहादत पूरी मानवता के लिए प्रेरणा है। संत बाबा गुरविंदर सिंह मांडी वाले ने अपनी कथा में बताया कि गुरु जी का प्रसिद्ध कथन है बह जिनाहन दी पकरीये।
सर दीजे बह न छोडिय़े। तेग बहादुर बोल्या धर पाये धरम न छोडिय़े। यानी कि अपना सिर दे दो, लेकिन सही काम करने के अपने कर्तव्य में पीछे मत हटो। गुरू तेग बहादुर की बाणी में धार्मिकता, धर्म की रक्षा और मानवीय मूल्यों पर जोर दिया गया है। जिसमें उन्होंने लोगों को हिम्मत, साहस और निडरता से जीवन जीने का संदेश दिया है।
सुख, दुख, मान-अपमान को समान भाव से स्वीकार करने की प्रेरणा
संत बाबा राजिंदर सिंह इसराना वाले ने अपने संदेश में संगतों को भजन सिमरन तथा नाम व शब्द का अभ्यास करने पर जोर दिया। कार सेवा पिहोवा वाले संत बाबा महेंद्र सिंह, कार सेवा पटियाला वाले संत बाबा अमरीक सिंह ने विशेष रूप से गुरमत समागम में शामिल हो कर अपनी हाजिरी लगवाई। उनकी शिक्षाओं में डरो मत और भयभीत मत हो जैसे संदेश प्रमुख हैं और उन्होंने सुख, दुख, मान-अपमान जैसी सभी अवस्थाओं को समान भाव से स्वीकार करने की प्रेरणा दी।
गुरमत समागम में विशेष तौर से सम्मलित हुए हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान जगदीश सिंह झींडा ने अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का गुरु तेग बहादुर साहिब का 350 साला शहीदी गुरपर्व बड़े स्तर पर मनाने पर आभार प्रकट किया। इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य सरदार करनैल सिंह निम्नाबाद, गुरुद्वारा मैनेजर गुरविंदर सिंह चौगामा सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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