Business News Hindi : विपरीत हालात में भारत ने विकास दर बनाए रखी : मल्होत्रा

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Business News Hindi : विपरीत हालात में भारत ने विकास दर बनाए रखी : मल्होत्रा
Business News Hindi : विपरीत हालात में भारत ने विकास दर बनाए रखी : मल्होत्रा

कहा, राजकोषीय अनुशासन और मौद्रिक नीतियों के तालमेल से स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत की विकास दर और मौजूदा आर्थिक स्थिति पर संतोष जाहिर करते हुए कहा है कि भारत ने विश्व को दिखा दिया है कि किस तरह से दबाव से बाहर निकला जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाना और पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था जब मुश्किल दौर से गुजर रही थी तो भारत ने महंगाई दर, आर्थिक विकास को नियंत्रण में रखा।

उन्होंने कहा कि इस मुश्किल दौर में सरकार ने संयम से काम लेते हुए राजकोषीय अनुशासन और मौद्रिक व सरकारी नीतियों के बीच मजबूत तालमेल बनाए रखा। इससे भारत को कठिन वैश्विक परिस्थितियों में भी महंगाई पर नियंत्रण रखने और आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में अमह भूमिका निभाई है।

चुनौतीपूर्ण दौर में हम महंगाई को नियंत्रण में रख सके

उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों के लिए बढ़ते टैरिफ और कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच महंगाई को नियंत्रित रखना बड़ी चुनौती रही है। ऐसे में केंद्रीय बैंक और राजकोषीय अधिकारियों के बीच तालमेल ने भारत को स्थिरता बनाए रखने में मदद की है।

मल्होत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से अपनाई गई राजकोषीय उदारता ने भी इसमें मदद की है। राजकोषीय घाटा अब बहुत ही प्रबंधनीय स्तर पर है, जिसे अब केंद्र सरकार के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 4.4 प्रतिशत तक कम करने का अनुमान है। राज्य और केंद्र दोनों सरकारों का कुल ऋण बड़ी ऋण अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है। मुझे लगता है कि केवल जर्मनी ही ऐसा है जिसका सार्वजनिक ऋण स्तर इससे कम है।

रुपया दूसरी मुद्राओं से बेहतर प्रदर्शन कर रहा

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुक्ति दिवस से पहले, यानी 2024 से, भारतीय शेयर बाजार और भारतीय रुपया वास्तव में दूसरों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए, एक तरह से, यह एक सुधार भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का विदेशी मुद्रा बाजार गहरा और मजबूत है व केंद्रीय बैंक का ध्यान स्थिरता बनाए रखने पर है। उन्होंने कहा कि विनिमय दर में अस्थिरता के प्रबंधन के बारे में मल्होत्रा ने कहा कि हालांकि उभरते बाजारों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले काफी अस्थिर रही हैं, लेकिन भारत का दृष्टिकोण किसी विशिष्ट स्तर को लक्ष्य करने के बजाय रुपये की व्यवस्थित गति सुनिश्चित करना रहा है।

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