अमेरिकी दबाव के बावजूद नवंबर में पिछले पांच माह का उच्चतम स्तर छूआ
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिकी दबाव को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए भारत ने अपनी जरूरतों के हिसाब से रूस से कच्चे तेल का आयात फिर से तेज कर दिया है। आकड़ों की बात करें तो नवंबर में भारत ने पिछले पांच माह में सबसे ज्यादा तेल आयात किया। यह आंकड़े यूरोपीय थिंक-टैंक सेंटर फॉर रिसर्च आॅन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने जारी किए हैं। इसी के चलते भारत और रूस के बीच तेल आयात का यह आंकड़ा बढ़ते हुए नवंबर में 2.6 अरब यूरो पर पहुंच गया। रिपोर्ट के अनुसार रूस से आने वाले इस कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा भारतीय रिफाइनरियों में प्रसंस्करण के बाद आॅस्ट्रेलिया सहित कई देशों को परिष्कृत ईंधन के रूप में निर्यात किया जा रहा है।
अमेरिका ने भारत पर बनाया था दबाव
ज्ञात रहे कि पिछले कुछ माह में अमेरिका ने सीधे तौर पर भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि जब तक भारत रूस से कच्चा तेल आयात करना बंद नहीं करता तब तक भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौत नहीं हो सकता इसके साथ ही अमेरिका ने भारत के तेल आयात बंद न करने की दिशा में और भी ज्यादा टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी। जिसके बाद भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात लगभग बंद कर दिया था। लेकिन बावजूद इसके अमेरिका और भारत में अभी तक व्यापार समझौते को लेकर अंतिम मसौदा तय नहीं हो सका है। दोनों देश अपनी-अपनी शर्तें मनवाने के लिए अड़े हुए हैं।
भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार
ज्ञात रहे कि नवंबर में भारत चीन के बाद रूसी जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना रहा। नवंबर में चीन ने रूस के कच्चे तेल के निर्यात का 47 प्रतिशत खरीदा, उसके बाद भारत (38 प्रतिशत), तुर्की (6 प्रतिशत) और यूरोपीय संघ (6 प्रतिशत) का स्थान रहा। इसमें कहा गया कि दरअसल, दिसंबर में भारत की खरीद में एक और वृद्धि दर्ज की जा सकती है, क्योंकि अमेरिकी विदेश संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) के प्रतिबंध लागू होने से पहले लोड किए गए माल की डिलीवरी पूरे महीने के दौरान की जाएगी। बता दें कि 22 अक्तूबर को, अमेरिका ने रूस के दो सबसे बड़े तेल उत्पादक कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए।
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