Pitru Paksha Special: गयाजी के जनार्दन मंदिर में जीवित व्यक्ति खुद करते हैं अपना श्राद्ध और पिंडदान

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Pitru Paksha Special: गयाजी के जनार्दन मंदिर में जीवित व्यक्ति खुद करते हैं अपना श्राद्ध और पिंडदान
Pitru Paksha Special: गयाजी के जनार्दन मंदिर में जीवित व्यक्ति खुद करते हैं अपना श्राद्ध और पिंडदान

अनेक जन्मों का पितृ ऋण समाप्त कर देता है गयाजी में किया गया तर्पण
Pitru Paksha Special, (आज समाज), नई दिल्ली: पितृ पक्ष का आरंभ हो चुका है। जोकि 21 सितंबर तक चलेगा। पितृ पक्ष 7 सितंबर से आरंभ हुआ था। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद पाने का एक उत्तम अवसर है, लेकिन आज हम आपको आपको भारत के इकलौता ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जिंदा लोग खुद अपना ही श्राद्ध करते हैं।

यह मंदिर गयाजी में स्थित है। कहा जाता है कि गयाजी में किया गया तर्पण अनेक जन्मों का पितृ ऋण समाप्त कर देता है। यही कारण है कि पितृ पक्ष में लोग दूर-दूर से गयाजी आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं।

गयाजी में पिंडदान करने का है विशेष महत्व

गयाजी में पिंडदान करने का विशेष महत्व माना गया है। माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति गया में जातक पितरों का पिंडदान करता है, तो उसे पितृ ऋण से मुक्ति मिल सकती है। आज हम आपको गया में स्थित जनार्दन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ मान्यताएं और इस मंदिर की खासियत।

54 पिंड देवी और 53 पवित्र स्थल

गया जी में तकरीबन 54 पिंड देवी और 53 पवित्र स्थल हैं, लेकिन जनार्दन मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां जीवित व्यक्ति खुद अपना ही श्राद्ध करते हैं, यानी जीवित रहते हुए खुद का पिंडदान करते हैं। यह मंदिर भस्म कूट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी मंदिर के उत्तर में स्थित है।

ऐसे किया जाता है आत्मश्राद्ध

जो लोग अपने पिंडदान और श्राद्ध के लिए यहां आते हैं वह सबसे पहले वैष्णव सिद्धि का संकल्प लेते हैं और पापों का प्रायश्चित करते हैं। इसके बाद भगवान जनार्दन मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना व जप किया जाता है। इसके बाद दही और चावल से बने तीन पिंड भगवान को अर्पित किए जाते हैं, जिसमें तिल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। पिंड अर्पित करते समय व्यक्ति भगवान से प्रार्थना करता है और मोक्ष की कामना करता है। आत्मश्राद्ध की प्रक्रिया तीन दिनों तक चलती है।

पितृ ऋण से मिलती है मुक्ति

आमतौर पर यहां वह लोग अपना श्राद्ध करने आते हैं, जिनके कोई संतान नहीं है या परिवार में उनके बाद पिंडदान करने वाला कोई नहीं है। इसके साथ ही वैराग्य अपनाने वाले या फिर जिनका कोई घर-परिवार नहीं हैं, वह लोग भी इस मंदिर में अपना पिंडदान करते हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जनार्दन भगवान यहां स्वयं पिंड ग्रहण करते हैं, जिससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है।

मंदिर की खासियत

जनार्दन मंदिर प्राचीन मंदिर में से है, जो पूरी तरह से चट्टानों से बना हुआ है। यहां भगवान विष्णु की जनार्दन रूप में दिव्य प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में लोग अपने पिंडदान के साथ-साथ अपने पूर्वजों का पिंडदान और श्राद्ध भी करते हैं।

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