हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस से टैक्स बेनिफिट्स कैसे पाएं? सेक्शन 80C और 80D गाइड

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टैक्स का नाम आते ही सभी को सिर दर्द होना शुरू हो जाता है। हर कोई ऐसी स्कीम ढूँढना चाहता जो उन्हें टैक्स बचाने में मदद करें। कुछ लोगों को पता भी होगा लेकिन अगर आपको नहीं पता तो जान लीजिए की इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से आपको टैक्स में छूट मिलती है। मतलब इंश्योरेंस से डबल फ़ायदा होता है, सुरक्षा और बचत। लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस का जो भी प्रीमियम आप भरते हैं उन पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के कुछ धाराओं के तहत कटौती मिलती है। आइए जानते है कैसे।

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C से 80U तक

इनकम टैक्स कानून की ये धाराएँ डिडक्शन्स बताती हैं। इनका सीधा अर्थ है कि अगर आपने कुछ खास निवेश या खर्च किए हैं, तो आप उन्हें अपनी कुल आय (Total Income) से घटा सकते हैं। जब आपकी टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है, तो आपको कम टैक्स देना पड़ता है। जानिए किस धारा के तहत आपको मिलेगा कौनसा लाभ। 

  • धारा 80C
  • जीवन बीमा / टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम
  • PPF, EPF, NSC, ELSS
  • सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम
  • बच्चों की ट्यूशन फीस
  • होम लोन का प्रिंसिपल रीपेमेंट
    टर्म इंश्योरेंस और गारंटीड रिटर्न प्लान यहीं शामिल हैं।
    (लिमिट: ₹1.5 लाख तक)
  • धारा 80CCC
  • पेंशन या एन्युटी प्लान
  • लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के पेंशन प्रोडक्ट्स भी इसमें शामिल होते हैं।
  • धारा 80CCD – नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
  • 80CCD(1), 80CCD(1B), 80CCD(2)
  • एनपीएस में योगदान पर टैक्स छूट मिलती है और अतिरिक्त ₹50,000 तक की अलग से कटौती का लाभ भी शामिल है। 
  • धारा 80D – हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
  • यदि कोई व्यक्ति अपने, अपने जीवनसाथी, बच्चों या माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम भरता है तो उसे टैक्स छूट मिलती है।
    (लिमिट: सामान्य – ₹25,000, वरिष्ठ नागरिक – ₹50,000 तक)
  • धारा 80DD – दिव्यांग सदस्य की देखभाल
  • अगर कोई टैक्सपेयर अपने परिवार के दिव्यांग सदस्य के इलाज या देखभाल पर खर्च करता है, तो उसे टैक्स में छूट मिलती है।
  • धारा 80DDB – गंभीर बीमारियों का इलाज
  • कैंसर, किडनी फेलियर जैसी बीमारियों के इलाज के खर्च पर टैक्स में छूट मिलती है।
  • धारा 80E – एजुकेशन लोन
  • अगर किसी ने हायर एजुकेशन के लिए लोन लिया है और उस पर ब्याज चुका रहा है, तो यह पूरी राशि टैक्स से घटाई जा सकती है।
  • धारा 80EE / 80EEA – होम लोन पर छूट
  • पहली बार घर खरीदने वालों के लिए होम लोन इंटरेस्ट पर कटौती।
  • धारा 80TTA / 80TTB – सेविंग अकाउंट पर ब्याज
  • 80TTA: सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट (₹10,000 तक)
  • 80TTB: सीनियर सिटीजन के लिए (₹50,000 तक)
  • धारा 80U – विकलांग व्यक्ति खुद के लिए
  • यदि टैक्सपेयर खुद विकलांग है तो उसे इस धारा के अंतर्गत टैक्स छूट मिल सकती है।

 

सेक्शन 80C — हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स बेनेफिट


इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम और मेडिकल खर्चों पर आप टैक्स बेनेफिट पा सकते हैं। लेकिन ये खर्च खुद पर, परिवार पर और माता-पिता पर किया होना चाहिए। 

  • हेल्थ इंश्योरेंस लेने से  एक साल में आप ज़्यादा से ज़्यादा ₹25,000 तक कटौती ले सकते हैं।
  • अगर आपके माता – पिता सीनियर सिटिज़न हैं तो ये रकम ₹25,000 से बढ़कर ₹50,000 तक हो जाती है।
  • अगर आप प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप करते हैं तो उस पर ₹5,000 तक की कटौती उपलब्ध है। लेकिन ये 5000 कटौती की कुल सीमा ₹25,000 के अंदर ही आने चाहिए। मतलब ₹25,000 के ऊपर छूट नहीं मिलेगी।
  • सबसे ज़रूरी, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का पेमेंट कैश में नहीं होना चाहिए। ये ऑनलाइन, चेक, डीडी, आदि हो सकता है। हालांकि प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप का पेमेंट आप नकद में कर सकते हैं।

सेक्शन 80C और 10(10D) — टर्म इंश्योरेंस पर टैक्स बचत

सेक्शन 80C आपको एक साल में कुल ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट देता है। ये छूट सिर्फ़ टर्म इंश्योरेंस पर नहीं है, बल्कि इसमें और भी कई तरह के निवेश और खर्चे आते हैं, जैसे –

  • पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
  • कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (EPF)
  • इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS)
  • नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
  • 5 साल की टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट।
  • होम लोन का प्रिंसिपल रीपेमेंट।
  • बच्चों की ट्यूशन फीस।

टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स लाभ

नियम के तहत आपको छूट ज़रूर मिलेगी लेकिन कुछ शर्तें पूरी होनी ज़रूरी है।

  • आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी आपके, आपके पार्टनर या बच्चों के नाम पर होनी चाहिए। माता-पिता या भाई-बहनों के लिए ली गई पॉलिसी पर यह लाभ नहीं मिलता है।
  • टर्म इंश्योरेंस का जो प्रीमियम आप हर साल भरते हैं, उस पर टैक्स में छूट मिलती है।
  • टैक्स बेनेफिट पाने के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम की एक सीमा तय है। 1 अप्रैल 2012 के बाद जारी की गई पॉलिसियों के लिए यह सीमा सम एश्योर्ड की 10% है। यानी अगर प्रीमियम 10% से ज़्यादा है, तो टैक्स छूट केवल 10% तक ही मिलेगी।
  • अगर आपकी पॉलिसी कम से कम दो साल तक ऐक्टिव रही है तो भी आपको टैक्स पर छूट मिलती है।
  • सेक्शन 10(10D) के तहत पॉलिसीहोल्डर के नॉमिनी को मिलने वाला मृत्यु लाभ (death benefit) पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है।

स्मार्ट टैक्स प्लानिंग के लिए बीमा का उपयोग कैसे करें

कई लोग सिर्फ टैक्स बचाने के लिए बीमा लेते हैं, लेकिन अगर थोड़ी प्लानिंग के साथ हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस चुना जाए तो इसका फायदा दोगुना हो सकता है। सबसे पहले पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था को समझना ज़रूरी है। अगर आपने होम लोन, इंश्योरेंस पॉलिसी, PPF या ELSS जैसी योजनाओं में निवेश किया है, तो आपके लिए पुरानी व्यवस्था (Old Regime) बेहतर साबित होगी क्योंकि इसमें ज्यादा डिडक्शन मिलते हैं। वहीं, अगर आपने ज्यादा निवेश नहीं किया है, तो नई व्यवस्था (New Regime) सही रहेगी क्योंकि इसमें टैक्स स्लैब कम रखे गए हैं। ध्यान रखें कि प्रीमियम का भुगतान हमेशा डिजिटल या बैंकिंग माध्यम से हो, कैश में नहीं।

साथ ही, प्रीमियम लिमिट और लंबी अवधि वाली पॉलिसी चुनना हमेशा फायदेमंद होता है। अगर आपके पास ग्रुप इंश्योरेंस है और उसका प्रीमियम कंपनी देती है, तो आपको टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा, लेकिन अगर आप खुद भुगतान करते हैं तो फायदा मिल सकता है। हालांकि, टैक्स बचत के लिए पर्सनल इंश्योरेंस सबसे भरोसेमंद विकल्प है। 

इंश्योरेंस लेना मतलब सिर्फ टैक्स बचत नहीं बल्कि फाइनेंशियल सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता है, जो आपके और आपके परिवार के लिए ज़रूरी है। ऐसा तब ही हो सकता है जब आप स्मार्ट डिसीजन लेते हैं।