आलू की अगेती फसल से मोटा मुनाफा कमा सकते है किसान
Potato Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: देश में आलू की बंपर पैदावार होती है। किसान आलू की अगेती फसल की बुवाई करके मोटा मुनाफा कमा सकते है। आलू की अगेती फसल की बुजाई के लिए 15 से 25 सितंबर तक का समय उपयुक्त माना गया है। अगर इस दौरान किसान आलू की फसल की बुजाई कर दें तो 65 से 70 दिन में आलू तैयार हो जाता है और किसान आलू को मंडी में बेचकर अच्छा लाभ अर्जित कर सकता है।
शुरूआत में मंडी में आलू का मूल्य 30 से 35 प्रति किलोग्राम होता है। वहीं किसान के पास दूसरी फसल जैसे ही गेहूं की बुजाई का समय भी शेष रह जाता है। किसान गेहूं की फसल काटकर दोगुना मुनाफा कमा सकता है। आलू की पछेती बुवाई के लिए 15-25 अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है। कई किसान 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच तक आलू की पछेती बुजाई भी करते हैं।
आलू की जल्दी पकने वाली किस्में
कुफरी ख्याति, कुफरी अशोक, कुफरी सूर्या, कुफरी पुखराज, कुफरी लीमा, कुफरी बहार, कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी लवकार। इनमें से, कुफरी ख्याति एक अधिक उपज देने वाली, जल्दी पकने वाली सफेद कंद वाली किस्म है।
कुफरी अशोक 70 से 80 दिनों में पक जाती है और प्रति हेक्टेयर 40 टन तक पैदावार दे सकती है। कुफरी सूर्या उच्च तापमान सहने की क्षमता रखती है और 75 से 80 दिनों में पक जाती है। कुफरी पुखराज 70 से 90 दिनों में पक जाती है।
बुवाई करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
आलू की खेती के लिए लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी में जैविक पदार्थ की अच्छी मात्रा होनी चाहिए. पानी का निकास अच्छा होना चाहिए। मिट्टी की पीएच 5.2 से 6.4 के बीच होनी चाहिए। क्षेत्र और मौसम के अनुकूल आलू की किस्म का चुनाव करें।
किस्म का चुनाव करते समय मिट्टी की उर्वरता और प्रकार का भी ध्यान रखें. ऐसी किस्म चुनें जो रोग प्रतिरोधी हो। बीजों का वजन 30 से 50 ग्राम होना चाहिए। बीजों में 2 से 3 आंखें होनी चाहिए।
5-7 सेमी की गहराई पर लगाएं आलू के बीज
आलू के बीजों को 5-7 सेमी की गहराई पर लगाएं। बीजों को फफूंद नाशक दवाओं से उपचारित करें। जिससे फसल स्वस्थ होगी किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा। रोग कम होगा तो लागत भी कम आएगी। आलू की बुजाई के समय खेत में यूरिया और सिंगल सुपर फॉस्फेट डालें।
मिट्टी की जांच करवाकर उर्वरक की मात्रा और प्रकार का निर्धारण करें। हो सके तो मृदा शोध कर ही आलू की फसल लगाएं। किसान ट्राइकोड्रमा से मृदा शोध कर सकते हैं। पहली सिंचाई बिजाई के 17 दिन बाद और दूसरी 30 दिन बाद करें। बिजाई के 20 दिन बाद निराई- गुडाई करें।
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