Editorial Aaj Samaaj | राकेश शर्मा| भारत मां के धर्म आधारित बंटवारे के 74 वर्ष बाद 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णय किया की बंटवारे में बने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को भारत में ‘Vibhajan Vibhishika Divas’ के रूप में मनाया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की उस 104 करोड़ जनता जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद जन्म लिया या बहुत सी आबादी उस समय की कुल 36 करोड़ आबादी में बहुत छोटे थे उन्हें विभाजन की पीड़ा, विभीषिका और यातनाओं का इतिहास के पन्नों से निकालकर देशवासियों के साथ साझा करना है और सजग करना है कि धर्म आधारित विभाजन कितना क्रूर होता है।

ज्ञात हो कि इस विभाजन में धार्मिक उन्माद के कारण 10 लाख लोगों की असमय ही हत्या कर दी गई, कितनी माताएं बहने विधवा हो गई, असंख्य बच्चे अनाथ हो गए, कितनी बहनें, माताएं बलात्कार की शिकार हुईं, अकल्पनीय लूटपाट हुई, अपना सब कुछ छोड़कर लगभग 60 लाख लोग पश्चिमी पाकिस्तान से भारत आने को मजबूर हुए और बीस लाख लोग 1947 और 1950 में पूर्वी पाकिस्तान से भारत आये। जरा कल्पना कीजिए कि कुछ नेताओं की सत्ता की हवस और धार्मिक उन्माद के कारण एक भारत के दो टुकड़े हो गए, जहां दोनों धर्मों के लोग शताब्दियों से एक साथ प्यार से मिलजुल कर रहते थे, एक दूसरे के उत्सव और त्योहार साथ मिलकर मनाते थे।
इस राजनैतिक, धार्मिक, उन्माद और अंग्रेज़ों की बंटवारे की नीति ने मिलजुलकर रह रहे अविभाजित भारतीयों के मन में शंका और अविश्वास का ऐसा बीज बो दिया जिसके नतीजों को आजतक भी हम भारतीय भुगत रहे हैं। भारत में आज़ादी के 78 वर्ष के बाद भी दबी जुबान से गजवा-ए-हिन्द की आवाज सुनाई देती है, कार्बनिक एवं अकार्बनिक एक धर्म के लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है, जबरन धर्म परिवर्तन हो रहा है, लवी जेहाद हो रहा है, ज़मीन बेहद भी हो रहा है, बांग्लादेशी , रोहिंग्या घुसपैठिए भारत में गैरकानूनी प्रवेश कर एक पक्षीय आबादी को बढ़ा रहे हैं। कुछ देशद्रोही नेता और पार्टियां तुष्टिकरण के लिए इन घुसपैठियों को प्रश्रय दे रही हैं। इन्हें राष्ट्र की चिंता नहीं है ।
विभाजन विभीषिका दिवस हमे यही याद दिलाता है की उपरोक्त कारणों से यदि कुछ उन्मादियों ने एक और बंटवारे की मांग कर दी तो बंटवारे के बाद होने वाली त्रासदी से भारतीयों को हर वर्ष अवगत कराया जाए जिससे देश को भोली भाली जनता ऐसे षड्यंत्रों का संज्ञान लेकर तुष्टिकरणवादियों को समय रहते सबक सिखा सके। ताजा उदाहरण 1990 में पांच लाख कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से धार्मिक आधार पर निष्कासन है। इन पंडितों के समृद्ध परिवारों को एक हो रात में निष्कासन की पीड़ा झेलनी पड़ी और बहुत से परिवार 35 वर्ष बाद भी शरणार्थी शिविरों में गुजारा करने को मजबूर हैं, कई मुस्लिम बहुल हो चुके कुछ क्षेत्रों से अब भी हिंदुओं का निष्कासन जारी है।
अंदाज़ा लगाइए जिन्होंने विभाजन विभीषिका भुगती है, कश्मीर से निष्कासन महसूस किया है, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से बाहर निकलने को मजबूर हुए है वो कहां रहे होंगे। आकाश उनकी छत बना होगा, मांगकर रोटी खाई होगी, रेहड़ी ठेले लगाकर बच्चों को पाला होगा, सारी जायदाद, पैसा छोड़कर आने के बाद क्या स्थिति रही होगी। यदि यह सबकुछ हमारे साथ होता तो हमारा जीवन कैसा होता। यह सोचकर विभाजनकारी तुष्टिकरणवादियों के षड्यंत्रों को बेनकाब कर उसे ध्वस्त करने का दिन है विभाजन विभीषिका दिवस। भगवान किसी को ऐसा दिन ना दिखाए। यह दिन उन शक्तियों को भी चेताने का है जो अपने वोट बैंक के खातिर घुसपैठियों को वोटर लिस्ट से बाहर करने पर हंगामा कर रहे हैं।
खैर, विभाजन की विभीषिका दिवस मनाने का अर्थ जो मुझे समझ आता है वह यह है कि देश और खासकर हिन्दू समाज उस भयानक दृश्य को याद करे जो 14 अगस्त 1947 को घटित हुआ था। देश और हिन्दू समाज याद करे, विभाजन की उस असहनीय पीड़ा को, देश और हिन्दू समाज याद करे उन लगभग डेढ करोड़ से ज्यादा भारतीयों को जिन्होंने इस पीड़ा को झेला था। देश और हिन्दू समाज याद करे उन लगभग लाखों हिन्दुओं को जो इस विभाजन के कारण असमय और अकारण मारे गए थे और जिनकी आत्मायें आज तक बिना श्राद्ध तर्पण के भटक रही हैं।
देश और हिन्दू समाज याद करें उन लाखों माता–बहनों को जिनकी गरिमा के साथ खिलवाड़ हुआ था। देश और हिन्दू समाज याद करे उन लाखों हिन्दुओं को जिनके घर– बार, आशियाने उजाड़ दिए गए थे, जिनको सब छोड़कर भागना पड़ा था। ऐसे अनेक विकराल प्रश्न आज देश के सामने खड़े हैं जिनका उत्तर बिजली की गति से ढूँढना होगा। नहीं तो भारत में ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ पुलिस और प्रशासन भी जाने की हिम्मत नहीं करता और इस बात को भी देश नकार नहीं सकता। भविष्य में भारत का विभाजन फिर से न हो यह संकल्प लेने और सतर्क रखकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने का संकल्प लेने का दिवस है ’14 अगस्त’ अर्थात ‘विभाजन की विभीषिका दिवस’ अर्थात् ‘अखंड भारत संकल्प दिवस’।
आज 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर सभी भारत प्रेमियों को संकल्प लेने का भी दिन है कि सभी देशविरोधी षड्यंत्रकारी शक्तियों की जहरीली नागफनी को हम सब मिलकर कुचलेंगे और विकसित राष्ट्र के स्वप्न को साकार करेंगे। साथ ही हमें यह भी संकल्प लेना है कि देश के भीतर जाति और धर्म के नाम पर समाज को बांटने वालों के चेहरे से नकाब उतारना है। देश के सामने उन लोगों के काले करतूतों को उजागर करना है, जो समाज में नफरत पैदा कर राष्ट्र का नुकसान पहुंचा रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस पर यह संकल्प लेना है कि संविधान की शपथ लेकर संविधान विरोधी काम करने वालों का पर्दाफाश किया जाए।
बहरहाल, कह सकते हैं कि आज भी देश की कुछ आंतरिक शक्तियां विभाजन विभीषिका की भांति ही अपना आचरण कर रही हैं, जो न सिर्फ अशोभनीय है बल्कि अक्ष्म्य है। इस तरह शक्तियों की पहचान कर उन्हें बेनकाब करना सरकार और समाज के लिए बहुत जरूरी है। यदि समय रहते इनकी पहचान कर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो ये भविष्य में राष्ट्र के लिए खतरा बन सकते हैं। इसलिए इन पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है।
(लेखक आज समाज के कार्यकारी निदेशक हैं।)
यह भी पढ़ें : Editorial Aaj Samaaj : सांस्कृतिक एकता के सूत्र