US Tariff Effect on India : भारत के कालीन उद्योग पर संकट के बादल

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US Tariff Effect on India : भारत के कालीन उद्योग पर संकट के बादल
US Tariff Effect on India : भारत के कालीन उद्योग पर संकट के बादल

अमेरिका द्वारा उच्च टैरिफ की घोषणा के बाद मुश्किल में पड़ सकता है यह उद्योग

US Tariff Effect on India (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत सरकार की नीतियों से नाराज होकर भारत के खिलाफ उच्च टैरिफ की घोषणा 31 जुलाई को कर दी थी। इस दौरान ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। लेकिन इसके बाद 6 अगस्त को एक बार फिर से अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी जोकि आगामी 28 अगस्त से लागू होगा।

यानी भारत को कुल मिलाकर अगस्त के अंत से अमेरिका को 50 प्रतिशत टैरिफ देना होगा। अमेरिका के इस कदम को लेकर भारतीय उद्योग जगत में डर का माहौल है। भारतीय उद्योग के कई ऐसे सेक्टर्स है जिनको अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे इस टैरिफ से बड़े स्तर पर नुकसान झेलना पड़ सकता है। इन्हीं सेक्टर्स में से एक है भारत का कालीन उद्योग। इस उद्योग के जानकारो का कहना है कि 25% टैरिफ से हम हैरान थे और सोच रहे थे कि इस समस्या का सामना कैसे होगा, लेकिन अब ये 50% हो गया है, इसे झेलना असंभव है। हमें डर है कि इससे करीब 25 लाख कामगार-मजदूर अपनी जरूरतें पूरी करने में भी सक्षम नहीं रह जाएंगे।

पर्शियन स्टाइल कालीन जाता है अमेरिका

भारत में काफी बड़े स्तर पर कालीन का उत्पादन होता है। इसमें से 98% माल विदेश भेजा जाता है। हाथ से बने टफ्टेड कालीन इस व्यापार का बड़ा हिस्सा है, जबकि पर्शियन स्टाइल के हाथ से बने रग्स या गलीचे (कारपेट) सबसे कीमती हैं। बीते कुछ साल में कालीन और रग्स का लगभग 60% हिस्सा अमेरिका को बेचा गया है। ट्रम्प के टैरिफ के चलते अमेरिका को माल बेचने पर अब 500 डॉलर के कारपेट पर 125 डॉलर का टैरिफ लग रहा है, आगे ये 250 डॉलर तक पहुंच सकता है।

भारत के रत्न कारोबार की चमक होगी फीकी

कालीन उद्योग के अलावा भी कई सेक्टर्स पर खतरा है। 7 अगस्त को ट्रम्प ने 50% टैरिफ की घोषणा की, तो जेम्स इंडस्ट्री एसोसिएशन ने अमेरिका के इस रवैये पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया की भारत इस सेक्टर में प्रति वर्ष अमेरिका को 87 हजार रुपए का निर्यात कर रहा है। अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद इस सेक्टर में लगभग 30 प्रतिशत व्यापार अभी तक प्रभावित हो चुका है और आने वाले समय में इसके बढ़ने की संभावना है।

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