- योग दिवस पर होती है साफ सफाई, करोड़ों रुपये खर्च, निरोग बनाने की बजाए आवारा पशुओं की शरणगाह बने खेल व्यायामशालाएं एवं क्रीड़ा केन्द्र
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। केन्द्र व प्रदेश सरकार एक तरफ तो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर घर घर तक योग पहुंचाने का संकल्प लेती है लेकिन धरातली स्तर पर सरकार कुंभकर्णी नींद सोती रहती है। ग्रामीण क्षेत्र को शहरी तर्ज की खेल सुविधा व आमजन को सुबह शाम घुम फिर कर शरीर को तंदरुस्त रखने के लिए निर्मित की गई खेल क्रीड़ा स्थल व व्यायामशालाओं पर भले ही सरकार ने करोड़ों की धनराशि खर्च कर दी गई हो लेकिन सरकार की उदासीनता व ग्राम पंचायतों के बिना देखरेख से यह राशि केवल एक तरह से केवल रद्ी की टोकरी में पहुंच गई। उपमंडल के 17 गांवों में निर्मित की गई इन पार्क कम व्यायामशालाओं में मौजूदा समय में केवल झाड़ व छोटे छोटे पेड़ा पौद्ये उगे हुए हैं जिसमें लोगों का जाकर योग करना तो दूर बल्कि केवल आवारा पशुओं का शरणगाह बनकर रह गई है। क्षेत्र के खेल प्रेमियों ने इस योजना का सुधारीकरण करने की मांग की है।
प्रदेश सरकार के विकास एवं पंचायत विभाग ने लोगों को तंदरुस्त रखने व बुजर्गो, बच्चों व महिलाओं को सुबह शाम योग कियाओं के लिए खेल क्रीड़ा केन्द्र व व्यायामशालाओं की स्थापना करने का फैसला किया जिसके लिए चार से पांच एकड़ में चारदिवारी, भव्य पार्क, दौड़ व चाल के लिए प्लेटफार्म निर्मित करने के लिए दो चरणों में प्रति गांव 42 लाख की भारीभरकम राशि जारी की जिसमें अकेले बाढड़ा उपमंडल के 17 गांवों के शामलाती भूमि पर इस प्रोजेक्ट के लिए पार्क तैयार किए गए लेकिन योजना पूरी होने के मात्र छह माह बाद ही इन व्यायामशालाओं व पार्को की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। काकड़ौली सरदारा, मांढी केहर, पिचौपा कलां, कारी धारणी, डोहका, गोपालवास इत्यादि गांवों में तो विभाग ने इन महत्वपूर्ण योजना को केवल कागजी साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
काकड़ौली सरदारा व मांढी केहर की तो गांव से तीन से चार किलोमीटर दूरी पर वनक्षेत्र में बना दी है जहां पर एक दिन भी ग्रामीणों ने पहुंच कर योग क्रियाओं में भागीदारी नहीं की वहीं इस में निर्मित प्लेटफार्म, पगडंडी, शोचालय मात्र छह माह में ही जगह जगह से टूट चुके हैं। संचालित अनेक योजनाएं आज भी अधूरी हैं। कई गांवों के ग्रामीणों ने बताया कि एक तरफ मुलभूत सुविधाओं के लिए आमजन तरस रहा है वहीं दूसरी तरफ सरकार आम जनता के स्वास्थ्य की देखरेख के नाम पर करोड़ों रुपयों को पानी की तरह बर्बाद कर रही है।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ रही हैं ऐसी योजनाएं, ग्राम पंचायतों को जिम्मा सौंपे सरकार
पूर्व सरपंच एसोसिएशन अध्यक्ष विजय मोटू, पूर्व सरपंच ओमप्रकाश पंचगावां, राजेश श्योराण, पूर्व सरपंच सुरेश धनासरी इत्यादि ने बताया कि क्रीड़ा केन्द्र व एवं व्यायामशालाओं की उपेक्षा के लिए प्रशासन की गलत नीतियां हैं। जिस समय गांव गांव में इनका निर्माण किया जा रहा था उस समय भी पंचायत प्रतिनिधियों ने या तो पंचायत विभाग द्वारा एक देखरेख करने वाले कर्मचारी व एक प्रोत्साहन कर्मचारी की नियुक्ति की मांग उठाई थी लेकिन उस समय उनकी आवाज को कोई महत्व नहीं दिया गया और आज इसके कारण अकेले बाढड़ा उपमंडल क्षेत्र में निर्मित की गई छह करोड़ की योजनाएं दम तोड़ गई हैं। इस मामले में या तो सरकार खुद यहां पर व्यवस्था संभाले या फिर ग्राम पंचायतों को इनकी देखभाल करने के लिए अलग से बजट निर्धारित करे वरना आम जनता के खून पसीने की कमाई बेजह बर्बाद की भेंट चढ जाएगी।
सरकारी पैसे का दुरुपयोग, आमजन पर बोझ
जजपा जिला प्रभारी ऋषिपाल उमरवास व जिला प्रेस प्रवक्ता राजेन्द्र सिंह हुई ने कहा कि क्रीड़ा केन्द्र व व्यायामशालाओं के निर्माण के समय गांव के ग्रामीणों को अनेक बड़े बड़े सब्जबाग दिखाए गए लेकिन आज वह केवल चारदिवारी तक सिमट कर रह गए हैं। इन केन्द्रों पर आमजन सुबह शाम घुमना तो दूर बल्कि वहां केवल अब आवारा पशु तक ही बैठने को मिल रहे हैं। सरकारीतंत्र ने इनके नाम पर बजट की बड़ी धनराशि तो खर्च कर दी लेकिन आज उसकी देखरेख केवल रामभरोसे होकर रह गई है। सरकार को क्षेत्र के खेल प्रशिक्षकों की कमेटी गठित कर यहां पर योग शिक्षकों की ड्यूटी लगानी चाहिए ताकि सरकारी पैसे से आमजन को लाभ मिल सके।
बहुउद्देशीय पूर्ति के लिए निर्मित करवाए गए ये व्यायामशालाएं
पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शहरी तर्ज पर गांव के छोटे बच्चे, बुजर्गो व महिलाओं के लिए सुबह शाम घुमने व योग क्रियाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए क्रीड़ा केन्द्र व व्यायामशालाएं निर्मित की थी लेकिन अब इनके रखरखाव में लापरवाही सामने आई है तो इसमें अकेले सरकार की बजाए आमजन को भी सहयोग करना चाहिए। प्रदेश में सबसे अधिक बाढड़ा उपमंडल को यह बजट मिला था लेकिन अब अगर कहीं शिकायत है तो प्रशासन को गांव गांव इनके संचालन के लिए कमेटियों का गठन कर जहां जो उपकरण की जरुरत है उसकी उपलब्धता करवानी चाहिए। वह स्वयं भी खेलमंत्री से इस बारे में बातचीत करेंगे।