
मंत्रों के जाप से संकट होते है दूर, सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति की होती है प्राप्ति
(आज समाज) नई दिल्ली: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है। हिंदुओं के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आज के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी की लड्डू गोपाल की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
इस दिन लड्डू गोपाल की विशेष रूप से पूजा करने पर आपार पुण्य और फल प्राप्त होता है। लड्डू गोपाल की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर मनुष्य की मनोकामना पूर्ण होती है। जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों को सदैव प्रसन्न रखते है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय मंत्रों का भी जाप करना चाहिए।
मत्रों के जाप से भगवान श्री कृष्ण होते है प्रसन्न
मत्रों के जाप से भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते है। इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि आप भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के किन-किन मंत्रों का जाप कर सकते है। इन मंत्रों के जप से बड़े संकट दूर होते हैं और भक्त को जीवन में सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय।
ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात।
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:।
ॐ कृष्णाय नम:।
ॐ क्लीं कृष्णाय नम:।
ॐ श्री कृष्ण: शरणं मम:।
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाय कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
कैसे करें मंत्र जप
जन्माष्टमी के दिन किसी शांत और एकांत स्थान पर मंत्र जप करें। घर में एकांत न हो तो किसी मंदिर में भी जा सकते हैं। किसी एक मंत्र का चयन करके कम से कम 108 बार जप करना शुभ होता है।
मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कुछ विशेष मंत्रों का जप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलती है। इन मंत्रों के नियमित जप से मानसिक शांति, तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, दिव्य ज्ञान और भगवान कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।
किसी भी एक मंत्र का 108 बार करें जाप
कृष्ण जन्माष्टमी पर किसी एक मंत्र का चयन करके कम से कम 108 बार जप करना चाहिए, तभी इसका प्रभाव पूर्ण रूप से दिखाई देता है। मंत्र जप के लिए शांत और एकांत स्थान चुनें। यदि घर में ऐसा स्थान उपलब्ध न हो तो आप किसी मंदिर में जाकर भी जप कर सकते हैं।
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