Bhadrapad Amavasya: भादो अमावस्या 23 अगस्त को, जानें स्नान-दान का महत्व

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Bhadrapad Amavasya: भादो अमावस्या 23 अगस्त को, जानें स्नान-दान का महत्व
Bhadrapad Amavasya: भादो अमावस्या 23 अगस्त को, जानें स्नान-दान का महत्व

अमावस्या के दिन विशेष रूप से की जाती है पितरों की पूजा
Bhadrapad Amavasya, (आज समाज), नई दिल्ली: अमावस्या हर महीने में आती है लेकिन साल में कुछ ऐसी अमावस्या है जिनका विशेष रूप से धार्मिक महत्व है। इनमें से एक है भादों अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पितरों की विशेष कृपा मनुष्य पर बनी रहती है। अमावस्या के दिन भगवान शिव और देवी लक्ष्मी एवं काली की पूजा का भी विधान है।

अमावस्या के दिन पितृ लोक से पृथ्वी पर पितरों का आगमन होता है और वह अपने परिवार जन से अन्न-जल की आशा रखते हैं। इस साल भाद्रपद अमावस्या बहुत खास मानी जा रही है, हालांकि 22 या 23 अगस्त किस दिन होगी भाद्रपद की अमावस्या, इसकी तारीख को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है। इस लेख में हम आपको बताएंगे की भादो अमावस्या कब मनाई जाएंगी। पूजा का सही समय और महत्व।

23 अगस्त को मनाई जाएगी भाद्रपद अमावस्या

भाद्रपद अमावस्या 22 अगस्त 2025 को सुबह 11.55 से शुरू होकर अगले दिन 23 अगस्त को सुबह 11.35 को खत्म होगी। ऐसे में भादों अमावस्या 23 अगस्त को सूर्योदय तिथि से मान्य होगी। इस दिन शनिवार होने से ये शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी। शनिवार को सूर्योदय के वक्त भाद्रपद महीने की अमावस्या रहेगी इसलिए तीर्थ स्नान और दान के लिए ये दिन ही खास रहेगा। इस संयोग में किए गए शुभ काम से मिलने वाला पुण्य फल और बढ़ जाता है।

अमावस्या पर ये 5 काम देते हैं शुभ फल

  • इस दिन प्रात:काल उठकर किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
  • अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें।
  • पीपल की सात बार परिक्रमा करें।
  • नदी के तट पर पितरों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
  • इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना भी की जा सकती है।
  • अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने पर शनि दोष शांत होता है।

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