देवताओं का वास स्थल माना गया है पीपल का पेड़
Shanivaar Upaay, (आज समाज), नई: शास्त्रों के अनुसार शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा-आराधना के लिए सबसे अच्छा समय होता है। शनिवार के दिन कुछ खास उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। धार्मिक और शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार शनि दोष को शांत करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ से जुड़े उपाय अत्यंत प्रभावी माने गए हैं। इन उपायों को सही विधि और श्रद्धा से करने पर शनि के कुप्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
गरुड़ पुराण और बृहद पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार पीपल की पूजा और शनि मंत्र का जाप करने से कुंडली में शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
पीपल का महत्व
पीपल का वृक्ष सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र और देवताओं का वास स्थल माना गया है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण और अन्य ग्रंथों में इसका विशेष उल्लेख मिलता है। इसे विष्णु, शिव और ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। विशेष रूप से शनि दोष शांति के लिए पीपल की पूजा करना फलदायी होता है।
ऐसे करें पूजा
- शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद पीपल के वृक्ष के पास जाकर उसके मूल (जड़) में जल अर्पित करें।
- इसमें गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है। इस प्रक्रिया से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
- शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करते समय ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। यह उपाय शनि दोष को शांत करता है और व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व लाता है।
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें।
- परिक्रमा करते समय शनि मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जाप करें। यह उपाय शनि दोष के कारण उत्पन्न कष्टों को कम करता है।
- शनिवार को पीपल के वृक्ष पर काले तिल, काला कपड़ा और सरसों का तेल चढ़ाएं। यह शनि देव के क्रोध को शांत करने का एक प्रभावी उपाय है।
- पीपल के पेड़ के नीचे गुड़ और चने का भोग लगाएं और इसे कौओं, कुत्तों या गरीबों में बांट दें। यह उपाय शनि दोष से मुक्ति पाने और सौभाग्य में वृद्धि करने में सहायक होता है।
ध्यान देने योग्य बातें
- पीपल की पूजा करते समय मन को शुद्ध और शांत रखें।
- पीपल के पत्तों को तोड़ने या नुकसान पहुंचाने से बचें।
- शनिवार के दिन पीपल की पूजा के साथ-साथ दान का विशेष महत्व है। काले तिल, कंबल, जूते और लोहे से बने वस्त्र दान करें।
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