Pitru Paksha Special: मृत्यु के बाद 10 दिन तक क्यों होता है मृतक का पिंडदान, जानिए इसका रहस्य

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Pitru Paksha Special: मृत्यु के बाद 10 दिन तक क्यों होता है मृतक का पिंडदान, जानिए इसका रहस्य
Pitru Paksha Special: मृत्यु के बाद 10 दिन तक क्यों होता है मृतक का पिंडदान, जानिए इसका रहस्य

श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पितरों के लिए पिंडदान करना माना जाता है शुभ
Pitru Paksha Special, (आज समाज), नई दिल्ली: धार्मिक परंपरा के अनुसार, मृत्यु के बाद 10 दिन तक मृतकों का पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच बातचीत के जरिए लोगों की नीति, नियम, ज्ञान, तप, यज्ञ इत्यादि से जुड़े संदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही इस पुराण में मृत्यु के बाद के संस्कार, आत्मा और तमाम लोकों के जिक्र किया गया है।

गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद शरीर के अंतिम संस्कार से लेकर पिंडदान और तेरहवीं तक का महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कि क्यों मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान किया जाता है।

13 दिनों तक परिजनों के बीच रहती है मृत व्यक्ति की आत्मा

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति की आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के बीच ही रहती है। इस दौरान आत्मा भूख और प्यास से तड़पती रहती है और रोती है।

इस बीच 10 दिनों तक आत्मा को उसके परिजनों द्वारा जो पिंडदान किया जाता है, उससे उसका सूक्ष्म शरीर बनता है जो एक अंगूठे के बराबर के आकार का होता है। पुराण के पहले अध्याय में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को पाप और पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए एक प्रेत शरीर मिलता है।

प्रेत योनि से मिलती है मुक्ति

पहले दिन के पिंडदान से सिर बनता है, दूसरे दिन से गर्दन और कंधे, तीसरे दिन से हृदय, चौथे दिन के पिंड से पीठ, पांचवें दिन से नाभि, छठे और सातवें दिन से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन से पैर, नौवें और दसवें दिन से भूख-प्यास इत्यादि उत्पन्न होती है।

इस पिंडदान से भूख और प्यास से प्रेरित जीव ग्यारहवें और 12 दिन भोजन करता है। पिंडदान के बाद तेरहवीं के दिन जब मृतक के परिजन 13 ब्रह्मणओं को भोजन कराते हैं तो आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।

पिंडदान करने के प्रकार और अवसर

  • मृत्यु के बाद का पिंडदान: यह सबसे महत्वपूर्ण होता है।
  • 16 पिंडदान: मृत्यु के 11वें दिन से शुरू करके 12वें मास तक कुल 16 पिंडदान किए जाते हैं, जिससे आत्मा को शरीर और शक्ति मिलती है।
  • गया में पिंडदान: यह जीवनकाल में एक बार किया जाता है, जिससे पितरों को मोक्ष मिलता है।
  • वार्षिक पिंडदान: प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के निमित्त पिंडदान किया जाता है।
  • पितृपक्ष: श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पितरों के लिए पिंडदान करना शुभ माना जाता है।
  • अन्य अवसर: वर्ष में कई ऐसे दिन आते हैं, जैसे माघ महीने के कृष्ण पक्ष में और अन्य शुभ तिथियों पर भी पिंडदान किया जा सकता।

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