Business News Hindi : बहुत खास रहा इस साल का एपेक सम्मेलन

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Business News Hindi : बहुत खास रहा इस साल का एपेक सम्मेलन
Business News Hindi : बहुत खास रहा इस साल का एपेक सम्मेलन

चीन और अमेरिका में सहमति से विश्व व्यापार युद्ध का टला खतरा

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : इस साल दक्षिण कोरिया के शहर ग्योंगजू में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन विशेष महत्व लेकर समाप्त हुआ। दरअसल इस सम्मेलन के शुरू होने से पहले तक पूरा विश्व व्यापार युद्ध के मुहाने पर खड़ा था जोकि विश्व की दो आर्थिक महाशक्तियों चीन और अमेरिका के बीच आपसी टकराव से शुरू होने वाला था।

लेकिन इस सम्मेलन के दौरान न केवल दोनों देशों के बीच आपसी टकराव टल गया बल्कि दोनों ने भविष्य में आपसी व्यापार को बढ़ावा देने और एक दूसरे का सहयोग करने का भी समझौता किया। इसके साथ ही शनिवार को एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के नेताओं ने इस आर्थिक शिखर सम्मेलन का समापन किया। इस दौरान क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग पर जोर देने संबंधी बयान भी जारी किया गया। नेताओं ने आर्थिक सहयोग बढ़ाने व साझा चुनौतियों से निपटने पर चर्चा को लेकर शुक्रवार को अपना वार्षिक शिखर सम्मेलन शुरू किया था।

अगला एपेक सम्मेलन चीन में होगा

अगले वर्ष शेन्झेन में होगा एपेक सम्मेलन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को घोषणा की कि चीन अगले साल नवंबर 2026 में एपेक आर्थिक नेताओं की बैठक की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के नेताओं का 2026 का शिखर सम्मेलन शेन्झेन में आयोजित किया जाएगा। चीन, एपेक शिखर सम्मेलन की पहले भी दो बार मेजबानी कर चुका है। शी ने कहा, चीन में निवेश करना भविष्य में निवेश करना है।

एपेक नेताओं ने साझा बयान किया जारी

दक्षिण कोरियाई शहर ग्योंगजू में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन के दो दिनों के बाद एपेक नेताओं ने एक साझा बयान में दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका-चीन) के बीच व्यापार तनाव से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था की साझा चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक सहयोग करने का वादा किया। इससे एक दिन पहले ही राष्ट्रपति और चीनी राष्ट्रपति ने व्यापार के मामले में बढ़ता तनाव घटाने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई थी।

इस तरह से कम हुआ चीन और अमेरिका का विवाद

ट्रंप ने एक दिन पूर्व जिनपिंग से हुई मुलाकात में चीन पर लगाए गए शुल्क (टैरिफ) में कटौती की बात कही और बीजिंग ने दुर्लभ धातुओं के निर्यात की अनुमति देने व अमेरिका से सोयाबीन खरीदने पर सहमति जताई। ट्रंप-शी में बनी सहमति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए राहत की बात है। ज्ञात रहे कि सम्मेलन शुरू होने से पहले जहां चीन ने दुर्लभ खनिजों की सप्लाई अमेरिका को रोक दी थी वहीं अमेरिका ने भी चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात कही थी। जिससे न केवल दोनों आर्थिक महाशक्तियां एक दूसरे के आमने-सामने आ गई थी बल्कि दोनों के बीच तनाव से विश्व व्यापार युद्ध का अंदेशा भी बन गया था।