दोनों देशों के वाणिज्य मंत्री दे रहे इस बात का संकेत
India-US Trade Deal Update (आज समाज), बिजनेस डेस्क : पिछले कुछ माह से यदि दुनिभा भर के सबसे बड़े आर्थिक घटनाक्रम की बात करें तो भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर हुआ टकराव सबसे ज्यादा अहम होगा। दोनों देशों के बीच चली आ रही मित्रता कुछ ही माह में खत्म हो गई। हालात यह बन गए कि अमेरिकी राष्टÑपति ने भारत पर गुस्सा निकालते हुए भारी भरकम टैरिफ लगा दिए।
हालांकि अमेरिका किस कारण भारत से इतना नाराज हुआ यह बात अभी तक समझ से परे हैं। हालांकि टैरिफ के कारण भारत और अमेरिका की व्यापार वार्ता भी रुक गई। अब दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों के बयान से लग रहा है कि दोनों देश एक दूसरे से व्यापारिक रिश्ते इतनी आसानी से खोना नहीं चाहते। यही कारण है कि दोनों देश रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाना चाहते हैं।
यह बोले भारत के वाणिज्य मंत्री
अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर बीते दिनों वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है। बातचीत चल रही है। भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक उचित समझौता हो जाएगा। दिलचस्प यह है कि अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भी चेतावनी के साथ संकेत दिए कि अमेरिका और भारत के बीच डील होगी। दोनों टॉप लीडर्स ने ही इसके कुछ महीनों में हो जाने के आसार जाहिर किए हैं।
इसी साल होगा व्यापार समझौता
पीयूष गोयल ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता नवंबर तक हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी सुधार का अमेरिकी टैरिफ से कोई लेना-देना नहीं है। यह तो बस एक संयोग है। उन्होंने लोगों को शांत रहने की सलाह दी। उनका कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच एक बराबर, संतुलित और सही समझौता होगा।हाल में जब गोयल से बातचीत की समय सीमा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘बातचीत में कभी कोई समय सीमा नहीं होती है। आपको धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि आप इसे लंबे समय के लिए कर रहे हैं।’
लुटनिक ने भी दो महीने की कही बात
वहीं, अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने शुक्रवार को भारत को सख्त लहजे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत को अपने सबसे बड़े क्लाइंट का समर्थन करना चाहिए। उनका यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि रउड शिखर सम्मेलन के बाद भारत और रूस चीन के हाथों में चले गए हैं। हालांकि, नई दिल्ली ने इस बात का विरोध किया और कहा कि वह व्यापार वार्ता में लगातार शामिल है।