Supreme Court Virdict: बिहार में जारी रहेगा मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण

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Supreme Court Virdict: बिहार में जारी रहेगा मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण

Breaking On ECI Roll Revision, (आज समाज), नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर आज सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार किया।

कोर्ट ने पुनरीक्षण की प्रक्रिया के समय पर उठाए सवाल 

शीर्ष कोर्ट ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाए। बता दें कि बिहार में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग (ईसी) से यह भी कहा कि वह सत्यापन अभियान के दौरान आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज़ माने।

ईसी 21 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश 

अदालत ने कहा, हमारे पास चुनाव आयोग पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। वे कह रहे हैं कि उनकी साख की जांच की जाए। मामले की सुनवाई ज़रूरी है। इसे 28 जुलाई को सूचीबद्ध किया जाए। इस बीच, वे मसौदा प्रकाशित नहीं करेंगे। चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है। पीठ ने एसआईआर में आधार कार्ड को शामिल न करने पर द्विवेदी से सवाल किए और कहा कि चुनाव आयोग का किसी व्यक्ति की नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है।

11 सांकेतिक दस्तावेजों में आधार/मतदाता पहचान पत्र शामिल नहीं

विवाद का एक प्रमुख कारण यह रहा है कि सत्यापन अभियान के दौरान आवेदक जिन 11 सांकेतिक दस्तावेजों को प्रस्तुत कर सकते हैं, उनमें आधार और मतदाता पहचान पत्र शामिल नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सत्यापन अभियान के लिए चुनाव आयोग द्वारा उल्लिखित 11 दस्तावेजों की सूची संपूर्ण नहीं है, इसलिए, हमारी राय में, यह न्याय के हित में होगा कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को भी इसमें शामिल किया जाए। यह चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वह ये दस्तावेज लेना चाहता है या नहीं और अगर नहीं लेता है, तो इसके कारण भी बताए।

एसआईआर की प्रक्रिया समस्या नहीं, समस्या समय की 

शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से यह भी कहा, मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) की प्रक्रिया समस्या नहीं है, बल्कि समय की समस्या है। पीठ ने कहा, बिहार में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से एसआईआर को क्यों जोड़ा जा रहा है? यह चुनावों से इतर क्यों नहीं हो सकता? न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, एक बार मतदाता सूची तैयार हो जाने के बाद अदालतें उसे नहीं छुएंगी, जिसका अर्थ है कि मताधिकार से वंचित व्यक्ति के पास चुनाव से पहले उसे (संशोधित सूची को) चुनौती देने का विकल्प नहीं होगा।

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