Supreme Court Order: कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों को लाइसेंस प्रदर्शित करने का निर्देश

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Supreme Court Order: कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों को लाइसेंस प्रदर्शित करने का निर्देश

Supreme Court On Kanwar Yatra, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटल मालिकों को लाइसेंस व पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदर्शित करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि हिंदू कैलेंडर के ‘श्रावण’ महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा से पवित्र जल लेकर विभिन्न स्थानों से कांवड़ लेकर आते हैं। 

कांवड़ यात्रा के समाप्त होने की संभावना

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह होटल या ढाबा मालिक का नाम और क्यूआर कोड प्रदर्शित करने संबंधी अन्य मुद्दों पर विचार नहीं कर रही है क्योंकि आज कांवड़ यात्रा का आखिरी दिन है। पीठ ने कहा, बहरहाल, निकट भविष्य में कांवड़ यात्रा के समाप्त होने की संभावना है, इसलिए इस समय हम केवल यह आदेश पारित कर सकते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के आदेश का पालन करें। 

25 जून को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का दिया हवाला 

अपूर्वानंद झा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 जून को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा, नए उपायों में कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य है, जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है, जिससे वही भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग हासिल होती है जिस पर पहले इस कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

पिछले साल लगा दी थी इस तरह के निर्देशों पर रोक 

बता दें कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी इसी तरह के निर्देशों पर रोक लगा दी थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों और अन्य विवरणों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार का निर्देश, जिसमें स्टॉल मालिकों को कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं के तहत अपनी धार्मिक और जातिगत पहचान बताने के लिए कहा गया है, दुकान, ढाबा और रेस्टोरेंट मालिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

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