इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों के परिजनों को बनाते थे निशाना, मदद के बहाने करवाते थे अपने काम
Delhi Blast Update, (आज समाज), नई दिल्ली/फरीदाबाद: दिल्ली ब्लास्ट के तार फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ने के बाद हर रोज नए खुलासे हो रहे है। सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि डॉक्टर-इमाम के साथ-साथ इस ब्लास्ट केस में पेशेंट मॉड्यूल का भी इस्तेमाल किया गया। यूनिवर्सिटी के अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की मदद के बहाने ऐसे शिकार ढूंढे जाते थे, जिनका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर किया जा सके।
डॉ. मुजम्मिल, लेडी डॉ. शाहीन और डॉ. उमर नबी इस काम को अंजाम देते थे। इनकी पहुंच मरीजों के घर तक थी। मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें अहसान में दबाते और फिर उनसे अपने काम निकलवाते। अभी तक की जांच में इस तरह के 3 केस सामने आ चुके हैं। ये पेशेंट भी अब जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।
डॉ. उमर नबी की कार छिपाने वाला बाशिद इसी मॉड्यूल का हिस्सा
दिल्ली ब्लास्ट में खुद को उड़ाने वाले डॉ. उमर नबी की लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार को छिपाने वाला बाशिद इसी मॉड्यूल का हिस्सा है। डॉ. मुजम्मिल ने उसके पिता का ट्रीटमेंट किया था। उसके बाद डॉ. शाहीन व डॉ. उमर नबी से मुलाकात कराई। उसे डॉ. शाहीन के अधीन अल फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलवाई। फिर उससे संदिग्ध सामान इधर से उधर कराने लगे।
बेटे के ट्रीटमेंट के बहाने इमाम संपर्क बढ़ा कमरा किराये पर लिया
ऐसे ही नूंह के एक इमाम के बेटे के ट्रीटमेंट के बहाने संपर्क बढ़ाए। धौज मस्जिद के इमाम इश्तियाक से भी डॉ. मुजम्मिल ने यूं ही संपर्क बढ़ाया और फिर उसका कमरा किराए पर लेकर वहां विस्फोटक छिपाया।
बाशिद ने इलाज के लिए पिता को कराया था मेडिकल कॉलेज में भर्ती
करीब डेढ़ साल पहले बाशिद के पिता राशिद को पैरालाइज हो गया था। बाशिद पिता को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में लेकर गया। जहां इमरजेंसी में डॉ. मुजम्मिल से मुलाकात हुई। राशिद कई दिन यहां भर्ती रहे। इसके बाद मुजम्मिल और बाशिद की मुलाकात रोजाना होने लगी। पिता को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी डॉ. मुजम्मिल के संपर्क में रहा। मुजम्मिल इलाज करने घर आने लगा।
डॉ. शाहीन बाशिद को मेडिसन डिपार्टमेंट दी दिलाई क्लर्क की नौकरी
करीब एक साल पहले डॉ. मुजम्मिल ने बाशिद को अस्पताल में मेडिसिन डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. शाहीन सईद से मिलवाया। डॉ. शाहीन सईद ने दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए आतंकी डॉ. उमर नबी से पहचान कराई। डॉ. उमर नबी के कहने पर डॉ. शाहीन ने उसे मेडिसन डिपार्टमेंट में ही क्लर्क की पोस्ट पर लगवा दिया। इसके बाद तीनों बाशिद से अपना काम निकलवाने लगे।
बाशिद के पास रहती थी उमर की कार
तीनों अपने निजी काम करवाने के लिए बाशिद को अपनी गाड़ी देकर भेजते रहते थे। दिल्ली ब्लास्ट से करीब पांच महीने पहले से बाशिद से नूंह से सामान मंगवाने का सिलसिला शुरू किया गया। जिसमें कई बार डॉ. उमर भी उसके साथ नूंह तक सामान लेने गया। परिवार ने बताया कि कई बार उसे अकेले ही सामान लेने के लिए भेज दिया जाता था। अक्सर उमर की कार बाशिद के पास रहती थी।
गांव खंदावली में अपनी बहन के घर कार छोड़ आया बाशिद
30 अक्टूबर के बाद डॉ. उमर ने यूनिवर्सिटी आना छोड़ दिया। तब से रेड ईको कार बाशिद के पास ही रही। जब डॉ. मुजम्मिल को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अस्पताल से गिरफ्तार किया तब इको स्पोर्टस कार यूनिवर्सिटी में ही थी। दिल्ली में ब्लास्ट होने के बाद लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार की तलाश शुरू हुई तो 10 नवंबर को बाशिद यह कार गांव खंदावली में अपनी बहन के घर छोड़ा आया। साथ ही लैपटॉप व दूसरा सामान घर पर रखकर फरार हो गया।
बाशिद के परिजनों ने पुलिस को दी कार की सूचना
बाद में बाशिद ने फोन कर अपने परिवार के लोगों को सारी जानकारी दी। परिवार के अनुसार बाशिद ने उन्हें बताया कि उसे फंसाने के लिए डॉ. मुजम्मिल और डॉ. नबी ने उसका इस्तेमाल किया है। वे उससे उनकी गाड़ी में कुछ गलत सामान मंगवाते हैं। बाशिद ने परिवार को बताया कि डॉ. मुजम्मिल को पुलिस ने पकड़ लिया है। डॉ. उमर की कार उसके पास है और उसे अब डर लग रहा है। वहीं परिवार के लोगों के अनुसार पुलिस को उन्होंने ही लाल कार के बारे में सूचना दी थी।
आतंक की नर्सरी तैयार करने के मकसद से किया मोहम्मद इश्तियाक का इस्तेमाल
डॉ. मुज्जिमल ने यूनिवर्सिटी की मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक और नूंह के इमाम इमामुद्दीन को भी मदद के बहाने की फंसाया। इश्तियाक का तो आतंक की नर्सरी तैयार करने के मकसद से भी इस्तेमाल किया। साथ ही उसका घर किराये पर लेकर विस्फोटक रखा। डॉ. मुजम्मिल व डॉ. उमर अल फलाह यूनिवर्सिटी में बनी मस्जिद में पांचों वक्त नमाज अदा करने आते थे।
इसी दौरान मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक से संपर्क बढ़ाया और उसका भरोसा जीता। डॉक्टर उसके घर दावत पर भी आने लगे थे। इश्तियाक की बीवी हसीना ने बताया कि डॉ. मुजम्मिल कई बार उनके घर आता था। अक्सर मदद भी करता था। कई डॉक्टरों को दूध भी इमाम के घर से ही जाता था।
दोस्त का सामान रखने के बहाने घर किराये पर लिया
हसीना के मुताबिक, डॉ. मुजम्मिल ने यह कहकर उनका फतेहपुरा तगा वाला घर किराये पर लिया था कि दोस्त का सामान रखना है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इश्तियाक खुद भी सामान रखवाने डॉ. मुजम्मिल के साथ गया था। तब पड़ोसियों को यही बताया था कि ये खाद के थैले हैं। जो बाद में विस्फोटक सामग्री निकली। ऐसे ही धौज में भी एक कमरा किराये पर लिया था। वहां भी यही कहा था कि बस सामान ही रखना है।
आतंकियों के छिपने और योजना बनाने में इस्तेमाल हो रही थी यूनिवर्सिटी
जांच में सामने आया है कि यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद ने यूनिवर्सिटी को रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर के तौर पर इस्तेमाल किया, यानी यूनिवर्सिटी आतंकियों के छिपने और योजना बनाने में इस्तेमाल हो रही थी।
आमिर और उमर ने मिलकर ब्लास्ट की साजिश रची
पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, यह मॉड्यूल युवाओं को कट्टर बना रहा था और उनसे हथियार और विस्फोटक खरीदने, छिपाने और हमले की योजना बनाने जैसे काम करवाता था। कल जांच एजेंसी आमिर को यूनिवर्सिटी परिसर में लेकर पहुंची थी। दिल्ली में ब्लास्ट हुई आई 20 कार आमिर के नाम पर ही रजिस्टर्ड थी। आमिर और उमर ने मिलकर ब्लास्ट की साजिश रची थी।
डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल को आमने-सामने बैठाकर की जाएंगी पूछताठ
अब जांच एजेंसियां डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल को साथ में बिठाकर सवाल पूछेंगी। जांच एजेंसियों को कुल 22 डॉक्टरों और स्टूडेंट्स पर इस मॉड्यूल में शामिल होने का शक है। चार गिरफ्तार डॉक्टरों के मेडिकल रजिस्ट्रेशन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें डॉ. आदिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर शामिल हैं। बताया गया है कि 15 डॉक्टर अभी भी अंडर ग्राउंड हैं।
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