Sugarcane Farming: 15 नवंबर से पहले कर लें गन्ने की बुवाई

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Sugarcane Farming: 15 नवंबर से पहले कर लें गन्ने की बुवाई
Sugarcane Farming: 15 नवंबर से पहले कर लें गन्ने की बुवाई

बेहतर पैदावार के लिए कुछ खास बातों का रखें ध्यान
Sugarcane Farming, (आज समाज) नई दिल्ली: देशभर में लगातार दूसरे साल बढ़िया मानसून के बाद इस बार रबी सीजन की बुवाई में काफी तेजी देखने को मिल रही है। गेहूं, तिलहन और दलहन फसलों की बुवाई में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। अगर किसान रबी सीजन में गन्ने की बुवाई करना चाहते हैं तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे किसानों के लिए बहुत-सी जरूरी बातें और अहम टिप्स बताई हैं।

इन किस्मों में से करें चयन

गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सही किस्मों का चयन बहुत जरूरी है। मध्य या देर से पकने वाली उन्नत प्रजातियों में को.शा. 767, को.शा. 802, को।शा। 07250, को.शा। 7918 और सीओएलके 8102 अच्छी मानी जाती हैं। उत्तर-पूर्व और उत्तर-मध्य भारत के लिए सीओ 0232 और सीओ 0233 उपयुक्त किस्में हैं। वहीं सूखा या नमी तनाव सहन करने वाली प्रजातियों में संकेश्वर 049, संकेश्वर 814, सीओबीआईएन 02173 और सीओ 0212 शामिल हैं।

जलभराव या बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए संकेश्वर 049, संकेश्वर 814, गुजरात राज्य 5, गुजरात राज्य 7, डूबे 08323, प्लास्टिक 09204 और गंगा लाभ 10346 जैसी प्रजातियां उपयुक्त रहती हैं। क्षारीय या लवणीय मृदा में संकेश्वर 814, सीओ 0212 और दिव्यांशी-सीओएन 15071 अच्छी पैदावार देती हैं। ठंड या पाला सहन करने वाली प्रजातियों में सीओ 16030 (करन एल 6) प्रमुख है।

खाद के रूप में इस मिश्रण का करें इस्तेमाल

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसल की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए 20 किलो संवर्धित ट्राइकोडर्मा को 200 किलो गोबर की खाद या प्रेसमड के साथ मिलाकर खेत की नालियों में डालें। इससे पेड़ी का फुटाव बेहतर होता है। अगर मिट्टी की जांच नहीं कराई गई है तो एनपीके 300:100:200 किलो प्रति हेक्टेयर की सामान्य अनुशंसा अपनाएं।

नालियों में 625 किलो सुपर फॉस्फेट डालकर मिट्टी में मिला दें। जिन खेतों में जिंक और आयरन की कमी हो, वहां क्रमश: 37।5 किलो जिंक सल्फेट और 100 किलो फेरस सल्फेट प्रति हेक्टेयर दें। सल्फर की कमी वाली मिट्टी में 500 किलो जिप्सम का प्रयोग लाभकारी होता है।

सिंचाई के समय का रखें खास ध्यान

वहीं, पेड़ी प्रबंधन के लिए गन्ने की कटाई सतह से करें, ताकि फुटाव अच्छा हो। कटाई के बाद ठूंठों पर 12 मिली इथरेल को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। पेड़ी पंक्तियों के पास गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 200 किलो यूरिया, 130 किलो डीएपी और 100 किलो पोटाश डालें।

इसके अलावा कटाई के एक सप्ताह बाद खेत में सिंचाई करें। फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 12 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। बुवाई के 25 से 30 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई जरूर करें। इससे पौधों को पर्याप्त पोषण और हवा मिलती है।