सुरक्षा एजेंसियों को मिले सबूत, पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे आतंकी
Delhi Breaking News (आज समाज), नई दिल्ली : दिल्ली लाल किला विस्फोट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है कई सनसनीखेज खुलासे भी हो रहे हैं। धमाके की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियों को पूछताछ के छठे दिन यह सबूत मिले हैं कि इस धमाके की प्लानिंग बांग्लादेश में हुई थी। यहीं नहीं जांच में यह भी सामने आया है कि आतंकियों की एक टीम पश्चिमी बंगाल के रास्ते देश में घुसे थे। हालांकि यह भी स्पष्ट हो चुका है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था।
लेकिन इस बार यह योजना पाकिस्तान में नहीं बल्कि ढाका में बैठकर बनाई गई थी। सूत्रों की मानें तो लाल किला बम धमाके से पहले बांग्लादेश में एक गुप्त मीटिंग हुई थी। पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा कमांडर सैफुल्लाह सैफ ने ढाका में हिज्ब-उल-तहरीर के हैंडलरों, प्रतिबंधित अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के सदस्यों, एक विस्फोटक विशेषज्ञ और दो बांग्लादेशी सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया था। इसी बैठक में भारत में हमलों के निर्देश जारी किए गए थे।
इसी माह पहले सप्ताह भारत में घुसे आतंकी
सूत्रों का दावा है कि इस मीटिंग से जुड़ी एक टीम नवंबर की शुरूआत में पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में दाखिल हुई और एबीटी सदस्यों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले एक घर में रुकी। जांच एजेंसियां पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या पाकिस्तान से कोई विस्फोटक भी भी दिल्ली-एनसीआर में भेजा गया।
अलफलाह यूनिवर्सिटी बनी आतंकी गिरोह की पनाहगाह
इस ब्लास्ट की साजिश फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में रची गई। इस साजिश का मुख्य आरोपी डॉक्टर मुजम्मिल था जोकि अपने साथियों के साथ पिछले दो साल से आंतकी संगठनों के साथ मिलकर दिल्ली को दहलाने की तैयारी में जुटा था। यहीं पर रहकर उसने अन्य आतंकी डॉ. उमर व उसके साथियों के साथ विस्फोटक व अन्य हथियार एकत्रित किए और धमाकों की योजना बनाई।
आतंकी उमर ने इस तरह दिया वारदात को अंजाम
जांच में जुटे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी उमर नौ नवंबर की रात 11.30 केएमपुर व दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के मिलान यानि रिवासन टोल के पास से वह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस पर चढ़ा था। यहां से फिरोजपुर झिरका गया। यहां ये हाइवे से उतरा, मगर ज्यादा आगे नहीं गया। इसके बाद ये वापस फरीदाबाद होते हुए बदरपुर पहुंचा। यहां से इसने दिल्ली में प्रवेश किया।
ये भी पढ़ें : ISRO Space Program : 2035 तक होगा भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा : वी. नारायणन


