Delhi News Update : दिल्ली में चार मंजिला इमारत के मलबे से निकाले छह शव

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Delhi News Update : दिल्ली में चार मंजिला इमारत के मलबे से निकाले छह शव
Delhi News Update : दिल्ली में चार मंजिला इमारत के मलबे से निकाले छह शव

शनिवार देर रात तक चला मलबा हटाने का कार्य,

Delhi News Update (आज समाज), नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के वेलकम एरिया स्थित जनता कॉलोनी से शनिवार देर रात तक छह शव बाहर निकाले गए। इसके साथ ही इमारत का मलबा हटाने के बाद बचाव अभियान समाप्त कर दिया गया। मलबे से जो शव निकाले गए वह सभी एक ही परिवार के थे। बताया गया जब इमारत गिरी तो उसमें करीब 10 लोग मौजूद थे।

जिला पुलिस उपायुक्त आशीष मिश्रा ने बताया कि शनिवार सुबह करीब 7.04 बजे उनकी टीम को सूचना मिली कि ए-ब्लॉक, गली नंबर-5, जनता कॉलोनी वेलकम में एक चार मंजिला इमारत गिर गई है। सूचना मिलते ही पुलिस के अलावा बाकी बचाव दल व प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। यहां करीब 35 गज, एल-शेप की चार मंजिला इमारत गिरी थी।

कुछ घंटे बाद गिरती इमारत होती ज्यादा जनहानि

स्थानीय लोगों को जहां अब्दुल मतलूब के परिवार का हादसे के शिकार होने का गम था तो वह इस बात का शुक्र भी अदा कर रहे थे कि आंगनबाड़ी के समय इमारत नहीं गिरी। उनका कहना था कि रोजाना यहां 20 से 25 बच्चे पढ़ने के लिए जाते थे। इमारत गिरने के बाद से जहां स्थानीय लोग दुखी दिखे वहीं मासूम भी दहशत में थे। पड़ोसी जीशान ने बताया कि जावेद और परवेज उनके दोस्त हैं। उनके पिता अब्दुल मतलूब ने अपने ग्राउंड फ्लोर के हॉल को किराए पर आंगनबाड़ी को दिया हुआ था।

यहां बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनको मुफ्त में खाना-पीना भी दिया जाता था। इस वजह से मोहल्ले के कई छोटे-छोटे बच्चे वहां आते थे। दो से तीन मैडम बच्चों को पढ़ाने आती थीं। आमूमन बच्चे पौने 9 बजे से आने लगते थे। अच्छा हुआ कि हादसा पहले ही हो गया। यदि बच्चों के समय इमारत गिरती तो न जाने कितने चिराग बुझ जाते। गमगीन आवाज में जीशान ने बताया कि खुदा ने मतलूब चाचा की मौत ऐसे ही लिखी थी। अब यह दुआ है कि बाकी परिजन जल्द ठीक हो जाएं।

महज चार फुट था रास्ता, अभियान में आई बाधा

वहीं मौके पर बचाव के लिए पहुंची टीमों ने बताया कि इमारत को जाने वाला रास्ता केवल चार फुट चौड़ा था। जिसके चलते बचाव कार्यों में काफी ज्यादा मुश्किल हुई। वहां पर प्रशासन की मशीनरी पहुंचना नामुमकिन था। यही कारण था कि बचाव कर्मी हाथों से ही मलबा हटाने में जुटे रहे। यदि मलबा तेज गति से हटाया जाता तो शायद जनहानि कम की जा सकती थी।