पितरों का तर्पण करने से दुखों का होता है नाश
Pitru Paksha, (आज समाज), नई दिल्ली: आश्विन माह का कृष्ण पक्ष पितरों को समर्पित होता है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति विशेष पर पितरों की कृपा बरसती है। इस दौरान श्रद्धा और आर्थिक स्थिति अनुसार दान करना चाहिए। पितरों का तर्पण करने से दुखों का नाश होता है।
इसके अलावा कई बार घरों में ऐसा हो जाता है कि परिवार का कोई सदस्य अचानक दुनिया से चला जाता है या बहुत छोटी उम्र में ही उसका जीवन समाप्त हो जाता है। ऐसी असमय मृत्यु के मामलों में अक्सर सही विधि से तर्पण नहीं हो पाता।
पितृपक्ष में विशेष तर्पण करना बेहद जरूरी
जिसका असर पूरे परिवार पर दिखने लगता है। कभी स्वास्थ्य की समस्या परेशान करती हैं, तो कभी रिश्तों में तनाव या आर्थिक हानि सामने आती है। यही स्थिति पितृ दोष कहलाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दोष से मुक्ति पाने का सबसे शुभ समय पितृ पक्ष है। यदि आपके किसी परिजन की आकस्मिक मृत्यु हुई हो चाहे दुर्घटना, अप्रत्याशित परिस्थिति या हत्या जैसी स्थिति के कारण और आपको बाद में इसकी जानकारी मिली हो, तो ऐसे पितरों के लिए पितृपक्ष में विशेष तर्पण करना बेहद जरूरी है।
पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि को करें तर्पण
मान्यता है कि जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, उनके लिए पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि को तर्पण करना चाहिए। यह विधि परिवार को अचानक आने वाली बाधाओं से बचाती है। इस समय उन आत्माओं का भी सम्मान करना आवश्यक है, जो हमसे केवल आदर और स्मरण की अपेक्षा रखती हैं। इसलिए उनके लिए तर्पण और दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए।
तर्पण करने की विधि
- ऐसे पितरों का तर्पण नियमपूर्वक और श्रद्धा से करना बहुत विशेष माना जाता है। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि यह विधि परिवार को आकस्मिक संकट, रोग और अशांति से मुक्ति दिलाती है।
- सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का स्मरण करें।
- तर्पण के लिए तिल, कुश, अक्षत और जल का प्रयोग करें।
- जल में तिल और कुश डालकर तीन बार अर्घ्य दें और प्रार्थना करें कि पितर इस अर्पण को स्वीकार करें।
- पितृ पक्ष की चतुर्दशी को विशेष रूप से उनके नाम से सादा भोजन तैयार करें।
- यह भोजन ब्राह्मणों को दान करें। यदि ब्राह्मण उपलब्ध न हों तो गाय, कौवे, कुत्ते या जरूरतमंदों को भोजन कराना भी उतना ही पुण्यकारी माना गया है।
- दान के रूप में वस्त्र, अन्न, तिल और दक्षिणा अर्पित करें।
घर में बनी रहेंगी शांति
विश्वास है कि इस प्रकार किए गए तर्पण से उन पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिनका जीवन असमय समाप्त हुआ हो। इस विधि से तर्पण करने पर परिवार पर छाए आकस्मिक संकट दूर होते हैं और घर में शांति और सद्भाव का वातावरण स्थापित होता है।
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