Rakshabandhan Festival : रक्षाबंधन केवल एक धागा बांधने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, विश्वास और परस्पर कर्तव्य का उत्सव

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Rakshabandhan Festival : रक्षाबंधन केवल एक धागा बांधने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, विश्वास और परस्पर कर्तव्य का उत्सव
राखी बाधतें हुए।

Rakshabandhan Festival (आज समाज ) पलवल। भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के तत्वाधान में पुलिस लाइन पलवल स्थित डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल के प्रांगण में रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रधानाचार्य सीमा राजवंशी, असिस्टेंट कमिश्नर गाइड द्वारा की गई जबकि संचालन मीना देवी जॉइंट सेक्रेटरी स्काउट गाइड द्वारा किया गया। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए सीमा राजवंशी ने बताया संस्था के जिला संगठन आयुक्त योगेश सौरोत के मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

पुलिस कर्मियों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके मंगल में जीवन की कामना

त्योहारों के अवसर पर पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य निर्वहन करते हुए अपने घर नहीं जा पाते हैं, उनको अपनेपन का एहसास कराते हुए विद्यालय की स्काउट गाइड की छात्रा आन्या बेनीवाल, पूर्वी, जोया, ऋचल, ऋद्धि, तन्वी तिवारी, अंजू, और मीसा द्वारा डीएसपी अनिल कुमार, पुलिस अधीक्षक रीडर ओमप्रकाश, एएसआई संजय खड़ियान, कांस्टेबल कुलदीप सहित अन्य पुलिस कर्मियों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके मंगल में जीवन की कामना की है।

पुलिसकर्मियों ने भी शगुन देकर छात्राओं को शुभकामनाएं दी है। डीएसपी अनिल कुमार ने बताया रक्षाबंधन केवल एक धागा बाँधने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, विश्वास और परस्पर कर्तव्य का उत्सव है। भाई केवल रक्त-संबंधी ही नहीं होता—जो भी नारी की रक्षा, सम्मान और स्वाभिमान के लिए खड़ा हो, वही भाई है। हमारे शास्त्रों और इतिहास में यह रिश्ता केवल रक्षा के वचन से नहीं, बल्कि एक-दूसरे की गरिमा बनाए रखने के संकल्प से जुड़ा रहा है।

भाई-बहन का रिश्ता केवल एक जन्म तक सीमित नहीं

सनातन संस्कृति में भाई-बहन का रिश्ता केवल एक जन्म तक सीमित नहीं माना जाता। यह भाव, यह व्रत, यह रक्षा का संकल्प जन्म-जन्मांतर तक चलता है। चाहे वह द्रौपदी द्वारा कृष्ण को बंधा गया रेशम का धागा हो, या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की रक्षा के लिए खड़े हुए साथी—हर युग में यह परंपरा नए रूप में, परंतु उसी आत्मा के साथ जीवित रही है।

रक्षाबंधन हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की असली ताकत विश्वास और त्याग में है, न कि केवल उपहारों और औपचारिकताओं में। यदि हम फिर से अपने संस्कारों की जड़ों को सींचें, तो भाई-बहन का यह पवित्र बंधन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अटूट है।

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