Pitru Dosh: सात पीढ़ियों तक बना रहता है पितृदोष

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Pitru Dosh: सात पीढ़ियों तक बना रहता है पितृदोष
Pitru Dosh: सात पीढ़ियों तक बना रहता है पितृदोष

गरुड पुराण से जानें लक्षण और उपाय
Pitru Dosh, (आज समाज), नई दिल्ली: पितृ दोष एक ऐसा दोष है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है और परिवार को कई तरह से प्रभावित करता है। यह ऐसा दोष है जो पीढ़ी दर पीढ़ी पीछा करता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार सात पीढियों तक पितृ दोष बना रहता है। लेकिन ऐसी मान्यता भी है कि जब तक पितृदोष की शांति नहीं हो जाती है तब तक यह कुल परिवार में किसी न किसी रूप में प्रभावित करती रहती है।

वैसे यह जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति को परिवार में पितृ दोष लगे। इसमें व्यक्ति के अपने कर्मों का भी फल शामिल होता है। गरुड़ पुराण में पितृ दोष के लक्षण और उपाय बताए गए हैं ताकि आप पितृ दोष से मुक्ति पा सकें। बता दें कि पितृ दोष होने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

परिवार में किसी को भी भोगना पड़ सकता है

एक ही परिवार में दो संतान या उससे अधिक संतान होने पर पर किसी को भी इसका फल भोगना पड़ सकता है। लेकिन यह तो निश्चित माना जाता है कि पितृदोष होने परिवार में किसी न किसी एक व्यक्ति की कुंडली में जिनका पूर्वजन्म का संचित कर्म बलवान नहीं है वह इस दोष से प्रभावित हो जाता है।

पितृदोष से बचने के उपाय

  • पितृपक्ष में पितरों की शांति के लिए हवन पूजन कराएं। पितरों के निमित्त पितृ पक्ष श्राद्ध के दौरान पितरों को जल और तिल अर्पित करें और ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
  • कुल देवी देवता की पूजा करें और कुलदेवता के नाराज होने पर भी पितृदोष परिवार पर बना रहता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करवाकर हवन करवाएं और पार्थिव शिवलिंग बनवाकर कम से कम सवा लाख शिवलिंग की पूजा करें।
  • ब्राह्मणो को खीर का भोजन करवाएं। किसी भी शुभ अवसर पर कुल देवी देवता से आशीर्वाद लें और उनको वस्त्र और चढावा भेंट करें।

पितृदोष के लक्षण

  • जिस व्यक्ति पर पितृ दोष होता है वह हमेशा क्रोध, निराशा और अवसाद से घिरा रहता है। साथ ही वंश वृद्धि में भी समस्याएं आती हैं।
  • घर परिवार में कोई न कोई हादसा होता रहता है।

    साथ ही परिवार में संतान को सफलता नहीं मिल पाती है।

  • घर परिवार में सुख समृद्धि नहीं रहती है। परिवार में कलह क्लेश बना रहता है।

कैसे लग जाता है पितृ दोष

गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ दोष का कारण यह है कि अगर परिवार के मुखिया ने अगर किसी जीव जंतु, सांप या फिर किसी असाहय मनुष्य की हत्या करता है या उन पर अत्याचार करते हैं तो व्यक्ति को पितृ दोष लगता है।

इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर किसी की कुंडली में दूसरे, आठवें और दसवें भाव में सूर्य के साथ केतु या राहु होते हैं तो पितृ दोष लगता है। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि जब तक पितरों की शांति के लिए जप तप नहीं किया जाता है तब तक पितृदोष से मुक्ति नहीं मिलती है। कहा जाता है कि कई पीढ़ियों तक पितृदोष बना रहता है।

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