छठी मैया और सूर्य देव की पूजा का है विधान
Chhath Puja Special, (आज समाज), नई दिल्ली: छठ पूजा का आज अंतिम दिन है। आज सूर्योदय के समय ऊषा अर्घ्य दिया जाएगा। इस महापर्व में छठी मैया और सूर्य देव की पूजा का विधान है। सूर्य देव को अर्घ्य छठ पूजा का अहम हिस्सा है। इसके बाद ही पूजा पूरी होती है। छठ में बिना किसी जल स्रोत में खड़े हुए सूर्य को अर्घ्य नहीं दिया जाता है। ऐसा क्यों है और इसके पीछे क्या मान्यताएं हैं? चलिए इसके बारे में जानते हैं।
जल में खड़े होकर अर्घ्य देने की वजह
सूर्य देव जीवन और उर्जा देने वाले देवता माने जाते हैं, जबकि जल जीवन का आधार माना जाता है। जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देकर जीवन के दोनों स्रोतों को सम्मान दिया जाता है। दोनों के प्रति कृतज्ञता जाहिर की जाती है। नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना परंपरा का हिस्सा तो है ही। साथ में ये सूर्य ऊर्जा से जुड़ने का एक वैज्ञानिक और योगिक साधन भी है।
मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है
जल में खड़े होने पर सूर्य की किरणें शरीर पर सीधी और परिवर्तित दोनों तरह से पड़ती हैं। जल में खड़े रहना शरीर के तापमान को संतुलित करता है और नर्वस सिस्टम पर अच्छा प्रभाव डालता है। इस साधना के दौरान मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है। अगर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो धर्म ग्रंथों में नदियों को देवी बताया गया है। जल में खड़ा होना अहंकार त्यागने का प्रतीक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जल सभी के लिए समान है।
क्या है मान्यता?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक के महीने में जगत के पालनहार भगवान विष्णु का निवास जल में होता है, इसलिए इस समय जल में खड़े होकर पूजा करना विशेष पुण्यदायी माना जाता है। कहा यह भी जाता है कि अर्घ्य देते समय जल के छींटे पैर में न पड़ें। यही कारण है कि सूर्य देव को अर्घ्य कमर तक के पानी में खड़े होकर दिया जाता है।
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