Business News Hindi : बीता सप्ताह इन कंपनियों के लिए रहा फायदेमंद

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Business News Hindi : बीता सप्ताह इन कंपनियों के लिए रहा फायदेमंद
Business News Hindi : बीता सप्ताह इन कंपनियों के लिए रहा फायदेमंद

टैरिफ के दबाव के बावजूद मार्केट वेल्यू में आया जबरदस्त उछाल

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : जुलाई समाप्त होते ही अमेरिका ने भारत पर नई टैरिफ दरों की घोषणा कर दी थी। यह दरें अगस्त के पहले सप्ताह के अंत पर लागू हो गई। यानि 7 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर अमेरिका ने 25 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया। वहीं 28 अगस्त से वह टैरिफ दर 25 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा कर चुका है।

अमेरिका की नई टैरिफ दरों का भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और भारतीय निर्यात पहले की अपेक्षा 55 प्रतिशत कम हुआ है। वहीं इस सबके बीच बीता सप्ताह देश की टॉप 10 में से 5 कंपनियों के लिए विशेषकर फायदेमंद रहा। इन कंपनियों की मार्केट वेल्यू में जबरदस्त इजाफा दर्ज किया गया। जिन कंपनियों की मार्केट वेल्यू में इजाफा हुआ उनमें बैंक प्रमुख हैं।

इस तरह रहा प्रमुख कंपनियों का प्रदर्शन

मार्केट वेल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 5 की मार्केट वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 60,677 करोड़ रुपए बढ़ी है। वहीं, 5 की वैल्यू 39,610 करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान सरकारी बैंक एसबीआई की वैल्यू 20,446 करोड़ रुपए बढ़कर 7.63 लाख करोड़ रुपए और एचडीएफसी की वैल्यू 14,084 करोड़ रुपए से बढ़कर 15.28 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। इधर, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया(एलआईसी) के शेयरों में इस बार बिकवाली रही और इसकी वैल्यू 15,307 करोड़ कम होकर 5.62 लाख करोड़ पर आ गई है। इस दौरान बजाज फाइनेंस की वेल्यू 9,601 करोड़ रुपए घटकर 5.36 लाख करोड़ पर आ गई है।

इस तरह आंकी जाती है मार्केट वेल्यू

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वेल्यू है। इसका केलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है। बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती हैं। यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है। मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है। बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।