Ganesh Chaturthi Special: जानें गणपति को क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी

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Ganesh Chaturthi Special: जानें गणपति को क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी
Ganesh Chaturthi Special: जानें गणपति को क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी

तुलसी ने भगवान गणेश को दिया था श्राप
Ganesh Chaturthi Special, (आज समाज), नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी शुरू हो चुकी है और इस सुअवसर पर कई लोग बप्पा को अपने घर लेकर आये हैं। बप्पा विघ्नहर्ता कहलाते हैं और इस कारण जब भी कोई शुभ काम होता है, तो लोग सबसे पहले उनकी पूजा करते हैं। लेकिन पूजा में आपने ध्यान दिया होगा कि भगवान गणेश को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाई जाती।

क्योंकि एक पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसी ने विवाह प्रस्ताव ठुकराने पर गणेश जी को श्राप दिया था, जिसके बाद गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दिया कि उनका विवाह किसी राक्षस से होगा और उनकी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होगा।

तुलसी के मन में भगवान गणेश से विवाह करने की इच्छा हुई जाग्रत

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब गणेशजी गंगा नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे, तो वहां से देवी तुलसी गुजरीं। उन्होंने देखा कि युवा गणेशजी तपस्या में लीन थे।

वो रत्न जटित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके समस्त अंगों पर सुगन्धित चंदन लगा हुआ था, गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेक सुंदर हार थे और उनकी कमर में अत्यन्त कोमल रेशम का लाल पीताम्बर लिपटा हुआ था। देवी तुलसी, गणेशजी के इस सुंदर स्वरूप पर मोहित हो गईं और उनके मन में भगवान गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई।

तुलसी से विवाह का प्रस्ताव ठुकराया

माता तुलसी ने विवाह की इच्छा बताने के लिए भगवान गणेश जी का ध्यान भंग कर दिया। भगवान गणेश इस बात से न केवल नाराज हो गए, बल्कि माता तुलसी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

तुलसी ने भगवान गणेश को दो विवाह का दिया श्राप

विवाह प्रस्ताव ठुकराने पर तुलसीजी नाराज हो गईं और उन्होंने गणेशजी को श्राप दे दिया कि उनके एक नहीं बल्कि दो-दो विवाह होंगे। यही कारण है कि आज भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं – रिद्धि और सिद्धि।

भगवान गणेश ने भी दिया तुलसी को श्राप

तुलसी माता के श्राप देने पर गणेशजी गुस्सा हो गए और उन्होंने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। एक राक्षस की पत्नी होने का श्राप सुनकर माता तुलसी डर गईं और उन्होंने तुरंत गणेशजी से माफी मांगी। तब गणेशजी ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा।

शंखचूड़, दैत्यराज दंभ का पुत्र था। दंभ ने भगवान विष्णु की तपस्या करके तीनों लोकों के लिए अजेय और महापराक्रमी पुत्र के रूप में शंखचूड़ को मांगा था। बाद में शंखचूड़ ने भगवान ब्रह्मा की आज्ञा का पालन करते हुए माता तुलसी से विवाह किया था।

कलयुग में मोक्षदायिनी तुलसी

गणेश जी के श्राप के बाद, तुलसी जी ने माफी मांगी। गणेश जी ने कहा कि वे भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिय रहेंगी और कलयुग में मोक्षदायिनी होंगी, लेकिन गणेश जी की पूजा में उन्हें अर्पित करना अशुभ होगाञ इसी वजह से, गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है।

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