Pradosh Vrat: जानें क्यों रखा जाता है प्रदोष व्रत

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Pradosh Vrat: जानें क्यों रखा जाता है प्रदोष व्रत
Pradosh Vrat: जानें क्यों रखा जाता है प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत रखने से मनोकामना होती है पूर्ण
Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रदोष व्रत शिव जी की विशेष कृपा पाने, सभी कष्टों और दोषों से मुक्ति, धन-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में किया जाता है। इसके अलावा, प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, पाप नष्ट होते हैं और शिव धाम की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं।

इस समय की गई भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है। एक कथा के अनुसार, चंद्रमा को क्षय रोग था, जिससे उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा था। भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन चंद्र दोष का निवारण कर उन्हें पुनर्जीवन प्रदान किया था, इसी कारण इस तिथि को प्रदोष कहा जाने लगा।

शुक्र प्रदोष व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में तीन मित्र राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र रहते थे। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकि गौना शेष था। एक दिन ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।

धनिक पुत्र ने यह सुना तो फौरन ही अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं। ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।

ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्नी के शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकूओं से पड़ा। जो उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा।

जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें। उसके पिता ने ऐसा ही किया। ससुराल में उसकी हालत ठीक होती गई। शुक्र प्रदोष व्रत के प्रताप से धनिक पुत्र जल्द स्वस्थ हो गया और उसका सारा धन वापिस उसे प्राप्त हो गया।

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