Sandhya Arghya: जानें छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य?

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Sandhya Arghya: जानें छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य?
Sandhya Arghya: जानें छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य?

छठी मैय्या और सूर्य देव को समर्पित छठ महापर्व
Sandhya Arghya, (आज समाज), नई दिल्ली: लोक आस्था का महापर्व छठ चार दिनों तक चलता है, जो कि छठी मैय्या और सूर्य देव को समर्पित माना गया है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन उषा अर्घ्य का होता है। छठ पूजा के तीसरे दिन अस्तगामी यानी डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा है।

बिहार, झारखंड और यूपी के शहरों में इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। आमतौर पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में कई लोगों को मन में सवाल आता है कि आखिर छठ में डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं? चलिए हम आपको बताते हैं इसकी वजह।

छठ पूजा के संध्याकाल अर्घ्य का समय क्या है?

इस साल (2025) छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर, सोमवार की शाम 5 बजकर 40 मिनट पर दिया जाएगाय यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है और इसके बाद अगले दिन, 28 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?

छठ पूजा के दौरान डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का मुख्य कारण यह है कि यह जीवन के उतार-चढ़ाव और संतुलन को दर्शाता है, यह एक नई शुरूआत और मेहनत व तपस्या के फल की प्राप्ति का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शाम के समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं, इसलिए इस समय पूजा करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के कारण

  • जीवन चक्र का प्रतीक: डूबता सूर्य दिखाता है कि हर अंत के बाद एक नई शुरूआत होती है।
  • मेहनत और फल की प्राप्ति: यह इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति की मेहनत और तपस्या का फल मिलने का समय आ गया है।
  • समस्याओं का समाधान: अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में आ रही परेशानियां और मुकदमेबाजी से राहत मिलती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और संतुलन बना रहता है।
  • धार्मिक महत्व: पौराणिक कथाओं के अनुसार, डूबते सूर्य की पूजा करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है और जीवन की रक्षा होती है।