पूजा के बाद करवे का क्या करें
Karva Chauth Special, (आज समाज), नई दिल्ली: आज करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा जाता है। इस साल यह त्योहार आज मनाया जा रहा है। इस व्रत में मिट्टी के करवे का विशेष महत्व है, जिसमें पंच तत्व समाहित होते हैं। मिट्टी का करवा पति-पत्नी के नाजुक रिश्ते का प्रतीक है। मिट्टी के करवे में मौजूद पंचतत्व का समन्वय जीवन में खुशियों के लिए जरूरी होता है। ऐसे में आइए जानें करवाचौथ पर मिट्टी के करवे का महत्व।
जल, हवा, मिट्टी, अग्नि और आकाश तत्व होते है मौजूद
करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चांद के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दौरान पति अपनी पत्नी को मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर व्रत खुलवाते हैं। बता दें कि करवा शब्द का मतलब मिट्टी का घड़ा/बर्तन होता है।
वहीं, चौथ को चतुर्थी कहा जाता है। मिट्टी के करवा में जल, हवा, मिट्टी, अग्नि और आकाश पांच तत्व मौजूद होते हैं। इन्हीं तत्वों के द्वारा इसका निर्माण भी किया जाता है। ऐसे में मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति और पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्वों और परमात्मा को साक्षी बनाते हैं।
मिट्टी के बर्तन में पानी पीना लाभकारी
मिट्टी के करवा बनाने के लिए मिट्टी को गलाया जाता है। ऐसे में यह भूमि और जल तत्व का प्रतीक है। इसके बाद, बर्तन को धूप और हवा में सुखाया जाता है, जो आकाश व वायु का प्रतीक होता है। सुखाने के बाद मिट्टी के करवे को अग्नि में तपाकर पूरी तरह तैयार किया जाता है जिसे, अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है। इन पांच तत्वों के समन्वय से जीवन में खुशियां आने लगती हैं। साथ ही, मिट्टी के बर्तन में पानी पीना आयुर्वेद में भी बहुत लाभकारी बताया जाता है।
मिट्टी का करवा क्यों है आवश्यक
ऐसा माना जाता है कि पति-पत्नी का रिश्ता मिट्टी के करवे के प्रकार नाजुक होता है। ऐसे में इसे संभाले रखना दोनों की ही जिम्मेदारी होती है। करवाचौथ के दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से इस रिश्ते को मजबूत बनाए रखने की क्षमता रखता है। कहा जाता है कि मिट्टी में लचीलापन और स्थिरता होता है, जो रिश्तों में भी महत्वपूर्ण है।
यही कारण है कि करवाचौथ का नामकरण भी करवा से हुआ है। ऐसे में करवाचौथ के दिन मिट्टी का करवा जरूर प्रयोग करना चाहिए। साथ ही, प्राचीन काल से मिट्टी के बर्तन को शुद्ध और पवित्र माना जाता है। ऐसे में लंबे समय से करवाचौथ में करवे का बर्तन इस्तेमाल करने की परंंपरा चली आ रही है। पूजा के बाद भी मिट्टी का करवा संभालकर रखना जरूरी होता है।
पूजा के बाद मिट्टी के करवे का क्या करें
करवाचौथ की पूजा के बाद मिट्टी के करवे को अपने घर के किसी स्थान पर संभालकर रख देना चाहिए। इसके बाद, अगले साल इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें और नया मिट्टी का करवा प्रयोग करना चाहिए। हालांकि, अगर आपके यहां पुराना करवा ही इस्तेमाल किया जाता है तो उसे संभालकर रखने के बाद अगले साल दोबारा प्रयोग कर सकते हैं।
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