Guruwar Niyam: जानें गुरुवार को क्या करें और क्या नहीं करें

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Guruwar Niyam: जानें गुरुवार को क्या करें और क्या नहीं करें
Guruwar Niyam: जानें गुरुवार को क्या करें और क्या नहीं करें

भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है गुरुवार का दिन
Guruwar Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: गुरुवार की पूजा भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है, जिसमें पीले वस्त्र पहनकर, हल्दी युक्त जल से स्नान करके, बृहस्पति देव और श्रीहरि की पूजा की जाती है। पूजा में पीले फूल, चने की दाल, गुड़, और केले जैसी पीली चीजें अर्पित की जाती हैं। पूजा के बाद व्रत कथा सुनी जाती है, और केले के पेड़ की परिक्रमा और आरती की जाती है। आइए जानते है इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

गुरुवार के नियम

  • मार्गशीर्ष मास में इन 3 पाठ को गुरुवार के दिन पढ़ने की बहुत महिमा है। अत: विष्णु सहस्त्रनाम, भगवद्गीता और गजेन्द्र मोक्ष। अत: इन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए।
  • इस दिन पूजन संबंधी सामग्री, जैसे- चंदन, पूजा की प्रतिमा, मोर पंख, आसन, तुलसी की माला, जल कलश, पीतांबर, दीपक आदि का दान करनाअतिशुभ माना गया है।
  • मार्गशीर्ष गुरुवार के दिन सायंकाल के समय तुलसी जी के पास एक दीपक जरूर जलाएं।
  • मार्गशीर्ष गुरुवार के दिन अपने गुरु अथवा इष्ट को ॐ दामोदराय नम: कहते हुए प्रणाम करना चाहिए, इससे जीवन के अवरोध समाप्त होते हैं।
  • मार्गशीर्ष गुरुवार को महिलाएं घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन तथा पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाएं, तो देवी लक्ष्मी उन्हें अपार संपत्ति का वरदान देती है।
  • मार्गशीर्ष माह का महत्व अपने गोपियों को कहते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो इस माह यमुना स्नान करेंगे, उन्हें मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा। अत: इस अगहन मास में या मार्गशीर्ष गुरुवार को नदी स्नान का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
  • इस दिन माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हर मनुष्य लक्ष्मी जी एवं नारायण की प्रतिमा स्थापित करके इनकी उपासना करके खीर का भोग तथा श्री नारायण को गुड़-चने का भोग लगाना चाहिए।
  • इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करें।

क्या न करें

  • इस दिन बाल न कटवाएं और ना ही नाखून काटें।
  • किसी की निंदा करें और न ही सुनें।
  • अपने गुरु, माता-पिता, बहनों, बुआ, कन्या का अनादर न करें।
  • यदि किसी से बोलचाल या घर में क्लेश हो जाए तो निंदा ना करें।
  • जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • तामसिक तथा मांसाहारी भोजन ग्रहण न करें।
  • इस दिन अपने विचारों को भौतिक सुख-सुविधाओं दूर रखें तथा ब्रह्मचर्य का पालन करें।