Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत रखने से दुख और दोष होते है दूर, महादेव की बनी रहती है कृपा

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Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत रखने से दुख और दोष होते है दूर, महादेव की बनी रहती है कृपा
Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत रखने से दुख और दोष होते है दूर, महादेव की बनी रहती है कृपा

20 अगस्त को रखा जाएगा प्रदोष व्रत
Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रदोष व्रत रखने से मनुष्य को सभी दुखों और दोषों से मुक्ति मिल जाती है। प्रदोष व्रत करने वाले मनुष्य पर भगवान शिव की विशेष कृपा भी बनी रहती है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो महीने में दो बार (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में) आती है। प्रदोष व्रत को प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के समय होता है। जैसा कि आपको प्रदोष व्रत के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि वह व्रत, जो सूर्यास्त के बाद हो।

प्रदोष का अर्थ है सूर्यास्त के बाद का समय। इस बार का प्रदोष व्रत बुधवार के दिन होने से बुध प्रदोष व्रत होगा। बुध प्रदोष व्रत के दिन सिद्धि योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं कि बुध प्रदोष व्रत कब है? बुध प्रदोष व्रत की पूजा मुहूर्त क्या है?

बुध प्रदोष व्रत की तारीख

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त बुधवार को दोपहर में 1 बजकर 58 मिनट पर शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 21 अगस्त को दोपहर में 12 बजकर 44 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर त्रयोदशी तिथि 21 अगस्त की है, लेकिन प्रदोष पूजा का मुहूर्त 20 को प्राप्त हो रहा है, इसलिए बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त को रखा जाएगा।

सिद्धि योग और पुनर्वसु नक्षत्र का बन रहा संयोग

इस बार बुध प्रदोष व्रत के दिन सिद्धि योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। सिद्धि योग प्रात:काल से लेकर शाम को 06 बजकर 13 मिनट तक है, उसके बाद से व्यतीपात योग बनेगा। वहीं पुनर्वसु नक्षत्र प्रात:काल से लेकर देर रात 12 बजकर 27 मिनट तक है, उसके बाद पुष्य नक्षत्र है। सिद्धि योग एक शुभ योग है, जबकि पुनर्वसु नक्षत्र स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति हैं।

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और देवता उनकी स्तुति करते हैं, इसलिए इस समय भगवान शिव की पूजा करना बहुत फलदायी माना जाता है।

कैसे रखा जाता है प्रदोष व्रत

  • प्रदोष व्रत के दिन, भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
  • पूरे दिन उपवास रखा जाता है, और सूर्यास्त के बाद फलाहार किया जाता है।
  • प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित की जाती है।
  • इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, और अन्य शिव मंत्रों का जाप करना भी फलदायी माना जाता है।

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