Punjab And Haryana High Court Judges Transfer: हरियाणा में जज बदले

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Punjab And Haryana High Court Judges Transfer: हरियाणा में जज बदले
Punjab And Haryana High Court Judges Transfer: हरियाणा में जज बदले

27 जजों में से 26 को तुरंत चार्ज छोड़ने का आदेश
Punjab And Haryana High Court Judges Transfer, (आज समाज), चंडीगढ़: हरियाणा में दिवाली के दिन बड़े स्तर पर जज बदल दिए गए। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से जारी ट्रांसफर लिस्ट में 27 न्यायिक अधिकारियों के नाम शामिल हैं। ट्रांसफर आॅर्डर में लिखा है कि लिस्ट में 18 नंबर पर मनीष दुआ को छोड़कर अन्य अधिकारी अपने वर्तमान कार्यभार को तुरंत छोड़ कर अपने नए कार्यभार को संभालें। मनीष दुआ का ट्रांसफर एवं नियुक्ति 3 नवंबर 2025 से प्रभावी होगी।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आॅर्डर में लिखा है कि पंचकूला, फरीदाबाद और गुरुग्राम में विशेष रूप से पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना की है। इसका आदेश चाइल्ड रेप की घटनाएं बढ़ने का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।

आॅर्डर में यह भी लिखा

आॅर्डर में यह भी लिखा है कि संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश यह सुनिश्चित करेंगे कि यदि कोई अधिकारी सांसदों, विधायकों के मामलों से निपट रहा है, तो ऐसे मामलों को वहां निर्धारित अगली तारीख से पहले ही सक्षम क्षेत्राधिकार वाले किसी अन्य न्यायालय को सौंप दिया जाए।

एडीए की भर्ती परीक्षा रद्द

वहीं हरियाणा सरकार को बड़ा झटका देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य के अभियोजन विभाग में सहायक जिला अटॉर्नी (एडीए) के 255 पदों के लिए पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि जनरल नॉलेज पर आधारित स्क्रीनिंग टेस्ट का नौकरी के लिए आवश्यक कानूनी कौशल से कोई संबंध नहीं है और इसमें योग्य उम्मीदवारों को अनुचित तरीके से बाहर रखा गया है।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने 36 पेजों के विस्तृत आदेश में कहा कि एग्जाम का सिलेबस, जिसमें सामान्य विज्ञान, समसामयिक घटनाएं, इतिहास, भूगोल और बुनियादी गणित शामिल थे। लॉ सब्जेक्ट की अनदेखी की गई। ये मनमानी है और नौकरी की जरूरतों से उसका कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने यह दिया तर्क

जस्टिस ने कहा, कानूनी ज्ञान से रहित छलनी से महत्वाकांक्षी कानूनी विशेषज्ञों को छांटना भर्ती के मूल उद्देश्य के साथ विश्वासघात है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी प्रक्रिया मनमाने ढंग से और चयन के उद्देश्य से बिना किसी तर्कसंगत संबंध के संचालित होती है।